Uttarakhand news: प्रदेश में Transfer Policy में हुआ बदलाव, होंगे ज्यादा तबादले
प्रदेश में स्थानांतरण सत्र 2025-26 में अनिवार्य स्थानांतरण के लिए अभी तक की जा रही 10 से 15 प्रतिशत की सीमा समाप्त कर दी गई है। विभाग नए सत्र में अपने यहां उपलब्ध पदों के आधार पर स्थानांतरण कर सकेंगे। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में स्थानांतरण नीति के अंतर्गत धारा-27 के प्रकरणों को लेकर हुई बैठक में यह संस्तुति की गई। स्थानांतरण नीति लागू होने के बाद ऐसा पहली बार होगा, जब स्थानांतरण के लिए कार्मिकों की कोई सीमा तय नहीं होगी। बैठक में शिक्षा विभाग से संबंधित स्थानांतरण के प्रकरणों पर भी चर्चा हुई। अब इन संस्तुतियों को मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा जाएगा।प्रदेश में कार्मिकों के वार्षिक स्थानांतरण के लिए स्थानांतरण नीति-2017 प्रभावी है। इसी नीति के प्रविधान के अनुसार प्रदेश में हर वर्ष सुगम से दुर्गम और सुगम से दुर्गम स्थलों पर स्थानांतरण किए जाते हैं। नीति में व्यवस्था की गई है कि सुगम में जितने पद खाली होंगे, दुर्गम में उतने ही कार्मिक इन पदों के सापेक्ष रखे जाएंगे।इसमें सुगम क्षेत्र मे एक ही स्थान पर पांच वर्ष से अधिक समय से तैनात कार्मिकों के स्थानांतरण का प्रविधान है।
इसी प्रकार दुर्गम में तैनात कार्मिकों को भी पांच वर्ष की सेवा के उपरांत सुगम में स्थानांतरित करने का प्रविधान है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में बताया गया कि स्थानांतरण नीति लागू होने के बाद शुरुआती दो वर्षों मे स्थानांतरण की सीमा 10-10 प्रतिशत रखी गई। इसके बाद बीते तीन वर्षों में यह सीमा 15-15 प्रतिशत रही। अब तक विभागों में 65 प्रतिशत स्थानांतरण हो चुके हैं और 35 प्रतिशत स्थानांतरण होने शेष हैं।ऐसे में अब निश्चित प्रतिशत में ही कार्मिकों के स्थानांतरण की बंदिश को हटाया जा रहा है। इस पर बैठक में सहमति बनी कि नए सत्र में वार्षिक स्थानांतरण की सीमा पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा। विभाग अपने यहां उपलब्ध पदों के हिसाब से स्थानांतरण कर सकेंगे। बैठक में अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, सचिव वित्त दिलीप जावलकर समेत अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।