बंदरों के आतंक की जन समस्या को किसी भी दल ने अपने घोषणा पत्र का हिस्सा नहीं बनाया
बंदर भगाओ खेती बचाओ जन अभियान कत्यूर घाटी ने आश्चर्य व्यक्त किया है कि बंदरों के आतंक ने पर्वतीय क्षेत्र के सामाजिक आर्थिक ताने बाने को छिन्न भिन्न करके रख दिया है और लोक सभा के आम चुनावों में मतदाताओं को लोक लुभावन विकास के सब्जबाग दिखा रहे राजनैतिक दलों ने इस गंभीर और जरूरी जन मुद्दे की सरासर अनदेखी की है किसी भी दल ने बंदरों के आतंक की जन समस्या को अपने घोषणा पत्र का हिस्सा नहीं बनाया है।
ज्ञातव्य है कि गरुड़ सिविल सोसाइटी के मार्गदर्शन में संचालित जन अभियान,बंदर भगाओ खेती बचाओ ने पूरे पर्वतीय क्षेत्र के लिए विगत चार माह से एक नजीर पेश की है इन दिनों लोक सभा चुनाव की आचार संहिता कारण समिति ने सड़क व समुदाय स्तर का अभियान स्थगित किया है जबकि समिति द्वारा अभिलेख व दस्तावेजों के माध्यम से अभियान को जीवंत रूप में संचालित किया जा रहा है।
इधर समिति ने एक बयान में आश्चर्य व्यक्त किया है कि मतदाताओं के बीच वोट की गुहार लगा रहे प्रत्याशी और राजनैतिक दल बंदरों के आतंक मुद्दे से कन्नी काट रहे हैं जबकि हालत इतनी वीभत्स हो चुकी है कि कटखने बंदर आए दिन लोगों को लहूलुहान व घायल कर रहे हैं। खेती और अर्थव्यवस्था को चौपट करने में बंदर एक प्रमुख कारण बन गए हैं ऐसे में पर्वतीय क्षेत्र लगभग चौपट ही हो गया है और लोगों की वोट से सत्ता की मलाई काट रहे राजनैतिक दलों को इस गंभीर जन समस्या से कोई सरोकार नजर नहीं आ रहा है।
