अल्मोडा स्थित ऐतिहासिक बडन मेमोरियल मेथोडिस्ट चर्च वर्ष 1897 में अल्मोड़ा मिशनरी के संस्थापक सदस्य और इंग्लैंड से भारत पहुंचे पास्टर जान हेनरी वार्डन की याद में बनाया गया। चर्च को बनाने में मिसनरी और स्थानीय लोगों समेत स्कूली बच्चों की अहम भूमिका रही। 126 साल पुरा यह चर्च आज इसाई समुदाय का प्रमुख धार्मिक स्थल है।
चर्च के निर्माण में स्कूली बच्चों की अहम भूमिका रही- जिले का सबसे पुराना बडन मेमोरियल मेथोडिस्ट चर्च है
चर्च के द्वारा दी जानकारी अनुसार कि सबसे पहले लंदन मिशनरी जेएच बडन ने यहां चर्च बनाने का निर्णय लिया था। करीब 1895 में अल्मोड़ा पहुचे बडन ने यहां मिशनरी की स्थापना की। इसके बाद उन्होंने सबसे पहले वर्तमान एलआर साह रोड के ऊपर स्थित गिरजाघर के भवन का निर्माण किया। वह चाहते थे कि इसी भवन में चर्च बने। बाद में उन्होंने रैमेजे इंटर कालेज की स्थापना की। बाद में एलआर साह रोड वाले भवन में चर्च बना दिया गया। उनकी याद में इसका नाम बदन मेमोरियल मेथोडिस्ट चर्च रखा गया।
रैमजे इंटर कालेज के प्रधानाचार्य विनय विल्सन ने बताया कि जिले की इस सबसे पुरानी चर्च को बनाने में उस समय मिशनरियों के अलावा स्थानीय लोगों और स्कूली बच्चों ने भी सरों में पत्थर ढोए थे।
बाद में लंदन से मंगाई गई एक विशालकाय घड़ी इसकी दीवार पर लगा दी गई। जो उस समय में जब लोगों के पास समय देखने के लिए घड़ियां नहीं होती थीं दूर से ही उसमें देखकर अपना समय निर्धारित करते थे। पादरी रोबिंसन दास ने चताया कि क्रिसमस के लिए चर्च को सजाने की तैयारी शुरूकर दी है। उन्होंने बताया कि पूरे चर्च को बिजली की मालाओं से सजाया जा रहा है।
