राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2024: जानिए थीम, इतिहास और उद्देश्य
National voters day: किसी भी लोकतंत्र में, यह एक व्यक्ति का वोट है जो उसकी आकांक्षाओं और वह अपने राष्ट्र के लिए क्या चाहता है, का प्रतिनिधित्व करता है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में हर एक वोट का बहुत महत्व है। और इसलिए, भारत में चुनाव किसी कार्निवल, सार्वजनिक चेतना और शक्ति के उत्सव से कम नहीं हैं।नागरिकों, विशेषकर पहली बार मतदान करने वालों के वोट देने के अधिकार को बढ़ावा देने के लिए, भारत 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाता है। यह दिन मतदान के महत्व को रेखांकित करता है और नागरिकों के बीच जागरूकता पैदा करता है।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2024: थीम
भारत हर साल एक थीम के साथ राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाता है। इस वर्ष के लिए, भारत के चुनाव आयोग ने अभी तक थीम की घोषणा नहीं की है।आप ईसीआई द्वारा आयोजित सार्वजनिक सभा और शैक्षिक अभियानों में भाग लेकर इस दिन को मना सकते हैं। एक प्रभावी चुनाव प्रक्रिया की पात्रता, शक्ति और परिणामों को समझना राष्ट्रीय मतदाता दिवस की पहचान है।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2024: इतिहास
2011 में, भारत के चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाने की शुरुआत की। मतदाताओं के बीच जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता तब महसूस हुई जब तत्कालीन सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने उल्लेख किया कि जो लोग हाल ही में 18 वर्ष के हो गए हैं वे मतदाता सूची में पंजीकृत होने के प्रति उदासीन हो रहे हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक अभियान शुरू करने के कानून मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. रिकॉर्ड के अनुसार, 1950 में ईसीआई की स्थापना तिथि को चिह्नित करने के लिए राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाने के लिए विशिष्ट तिथि 25 जनवरी चुनी गई थी।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाने का उद्देश्य
राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाने उद्देश्य नागरिकों को मतदाता के रूप में उनके अधिकारों और दायित्वों से अवगत कराना है। नागरिकों में चुनावी जागरूकता पैदा करना और उन्हें चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है। देश के मतदाताओं को समर्पित, राष्ट्रीय मतदाता दिवस का इस्तेमाल मतदाताओं, खासकर नए-नए पात्र युवा मतदाताओं के नामांकन की सुविधा के लिए भी किया जाता है। देश भर में आयोजित NVD समारोहों में नए मतदाताओं का अभिनंदन किया जाता है और उन्हें अपना मतदाता फोटो पहचान पत्र सौंपा जाता है।
सशक्त लोकतंत्र के निर्माण में मतदाताओं की भूमिका
सशक्त लोकतंत्र के लिए प्रत्येक नागरिक की भागीदारी जरूरी है। लोकतंत्र एक पेड़ है तो मतदाता और मतदान इसकी जड़ें हैं। पेड़ तभी मजबूत होगा जब इसकी जड़ मजबूत होगी। एक सशक्त लोकतंत्र के निर्माण के लिए पुरजोर और सर्वसमावेशी चुनावी भागीदारी महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय मतदाता दिवस चुनावों को और अधिक समावेशी, सहभागी और मतदाता-हितैषी बनाने के आयोग के प्रयासों को अभिव्यक्त करता है। एक जीवंत लोकतंत्र में चुनावों का स्वतंत्र, निष्पक्ष, नियमित और विश्वसनीय होना ही पर्याप्त नहीं है, उन्हें सर्वप्रिय होने के साथ-साथ सहभागी होना चाहिए ताकि शासन व्यवस्था पर उनका पूर्ण प्रभाव दिखे। वोट करने का अधिकार शक्ति के रूप में केवल तभी परिणत होगा जबकि उसका प्रयोग किया जाए।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है जहां 94 करोड़ से अधिक पंजीकृत निर्वाचक हैं। देश की जनता इस लोकतंत्र को सबसे महान बनाती है, जो नियमित तौर पर लोकतंत्र के सबसे बड़े त्योहार पर अपने मतों का प्रयोग कर इसे जीवंत बनाए रखती है। युवा मतदाता भारतीय लोकतंत्र के भविष्य हैं। वर्ष 2000 के आसपास और उसके बाद पैदा हुई पीढ़ी ने हमारी निर्वाचक नामावली में शामिल होना शुरू कर दिया है। मतदाताओं के रूप में उनकी भागीदारी लगभग पूरी सदी के दौरान लोकतंत्र के भविष्य को आकार देगी। लोकतंत्र में, मतदाताओं को इस बात का अधिकार है कि वे उन उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि के बारे में जानें, जिन्हें वोट देते हैं। यही कारण है कि उम्मीदवारों के खिलाफ यदि कोई आपराधिक मामला लंबित है तो उसकी सूचना समाचार पत्रों में दी जानी चाहिए। इसी तरह, जहां हर राजनीतिक दल को अपने घोषणापत्र में कल्याणकारी उपायों का वादा करने का अधिकार है। वहीं मतदाताओं को भी उससे राजकोष पर पड़ने वाले वित्तीय प्रभाव को जानने का समान रूप से अधिकार है।
