उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों की आशा कर्मचारियों ने देहरादून सचिवालय में अपनी मांगों के लिए एक दिवसीय धरना प्रदर्शन करके शासन प्रशासन को अवगत कराने के लिए किया। लेकिन चार घंटे से उत्तराखंड सचिवालय के गेट के सामने उत्तराखंड की आशा कर्मचारियों ने नारे बाजी व उत्तराखंड शासन प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाई।तीन बजे बाद उत्तराखंड शासन प्रशासन ने इनकी जल्वंत मांगो के लिए कोई समाधान तो नहीं निकाला लेकिन पुलिस प्रशासन के द्बारा आशा कर्मचारी लोगो मारपीट करके अलग अलग बसों में भरकर अलग अलग जगहों पर छोड़ दिया।
आशा कर्मचारी ने बताया कि बहुत कोशिश करने के बाद शाम को सात बजे इन आशा कार्यकर्ता लोगों को छोड़ा गया इसमें बहुत सी आशा फेसिलेटटर व आशा कार्यकर्ता लोगों का सामान नहीं मिला। प्रताप सिंह नेगी समाजिक अल्मोड़ा से आशा कार्यकर्ता व आशा फेसिलेटटर को जबरन पुलिस के द्वारा बसों में ठूस कर लें जाने के लिए उत्तराखंड शासन प्रशासन की घोर निन्दा करते हुए बताया।
आशा कर्मचारियों ने कहा जब शान्ति पूर्वक आशा कर्मचारी लोग अपने मांगो के लिए सचिवालय के बहार गुहार लगा रही थी तो शासन प्रशासन ने चार घंटे के बाद इनको बसों में ठोसा। उत्तराखंड राज्य महिला शशकतिकरण की बातें सरकार कर रही है। लेकिन आज इन महिलाओं को जबरन पुलिस ने तीन से चार घंटे अलग-अलग जगहों पर रखा व बिल्कुल ग़लत है। नेगी बताया इन आशा कर्मचारी लोगों ने इससे पहले उत्तराखंड प्रथक राज्य के लिए भी जन आन्दोलन किये।आज उत्तराखंड प्रथा राज्य बनने के बाद पुलिस प्रशासन ने इन मात्र शक्ति के लिए जो किया उसकी घोर निन्दा करते हुए शासन प्रशासन दोषी है।
