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    Uttarakhand: नाम बदलने की योजना पर गांववालों का विरोध

    क्षेत्र में कई राजपूतों के उपनाम में ‘मियां’ जुड़ा हुआ है।

    सरकारी नामकरण योजना के खिलाफ स्थानीय स्तर पर असंतोष देखने को मिल रहा है। उत्तराखंड के देहरादून जिले के मियावाला गांव का नाम बदलकर रामजीवाला किए जाने की घोषणा के बाद वहां के निवासियों, विशेष रूप से राजपूत समुदाय के लोगों ने इसका तीखा विरोध जताया है। उन्होंने जिला मजिस्ट्रेट को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि गांव का नाम न बदला जाए, क्योंकि यह न सिर्फ उनकी पहचान का हिस्सा है बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

    इतिहास से जुड़ा नाम, गांववासियों का खुला विरोध

    गांववासियों ने ‘समस्त मियावाला क्षेत्रवासी’ के नाम से एक पत्र जिला प्रशासन को सौंपा है जिसमें उन्होंने दावा किया है कि मियावाला का जिक्र 1874 में प्रकाशित “मेमोयर्स ऑफ देहरादून” में जी आर सी विलियम्स और 1911 की “देहरादून गजेटियर” में एच जी वॉल्टन जैसे अंग्रेज लेखकों द्वारा किया गया है। गांववालों ने लिखा है कि मियावाला सिर्फ एक नाम नहीं है, यह हमारी विरासत है, जिससे हमारी जड़ें, पहचान और पूर्वजों की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक लाभ के लिए क्षेत्र का नाम बदला जा रहा है, जिससे समुदाय में दरार पैदा हो सकती है। साथ ही, उन्होंने मियावाला क्षेत्र में लगे उन सभी पोस्टरों और विज्ञापनों को हटाने की मांग की है जो नाम बदलने को बढ़ावा दे रहे हैं।

    सरकार की मंशा और उठते राजनीतिक सवाल

    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और ऊधम सिंह नगर जिलों में 15 स्थानों के नाम बदलने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि यह निर्णय जनभावनाओं और भारतीय संस्कृति एवं विरासत के सम्मान को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मियावाला नाम ‘मियां’ उपाधि से जुड़ा है जो हिमाचल प्रदेश के गुलैर रजवाड़े से आए राजपूतों को टिहरी गढ़वाल के शासकों ने भूमि अनुदान के रूप में दिया था। आज भी इस क्षेत्र में कई राजपूतों के उपनाम में ‘मियां’ जुड़ा हुआ है।

    नगर निगम आयुक्त नमामि बंसल ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल प्रस्ताव पर केवल विचार किया जा रहा है और कानूनी प्रक्रिया के तहत सभी आपत्तियों को सुना जाएगा। जब तक सभी औपचारिकताएं पूरी नहीं होतीं, तब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जाएगा।

    कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार को गांवों के नाम बदलने की बजाय महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे असली मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर मुख्यमंत्री मियावाला का इतिहास पढ़ लें तो उन्हें खुद शर्म आ जाएगी।

    नाम बदलने की यह कवायद अब उत्तराखंड की राजनीति और सांस्कृतिक पहचान का अहम मुद्दा बन गई है, जहां सत्ता पक्ष को अपने ही समर्थक वर्ग से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

    By swati tewari

    working in digital media since 5 year

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