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    दुग्ध सहकारिता के कुछ नियम पहाड़ के अनुकूल नहीं, मुख्यमंत्री, दुग्ध विकास मंत्री को लिखा पत्र

    अल्मोड़ा 24 जून आज यहां दुग्ध विकास संगठन के अध्यक्ष आनन्द सिंह बिष्ट ने दुग्ध समितियों में कराये जा रहे चुनावों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री, दुग्ध विकास मंत्री को पत्र लिखते हुए कहा है कि बार बार हो रहे चुनावों, पदों के लिए अधिक शुल्क लिए जाने के विरोध में लगभग एक तिहाई समितियों में नामांकन प्रक्रिया ही नहीं हो पाई। पत्र में अध्यक्ष बिष्ट ने कहा है कि सरकार द्वारा समितियों में चुनाव में भाग लेने हेतु 180 दिन दूध देने तथा 300 लीटर प्रतिवर्ष दूध समिति में देने जैसे नियम बनाये हैं वे पर्वतीय क्षेत्र के अनुकूल नहीं हैं। विषम भौगोलिक स्थिति के चलते पर्वतीय क्षेत्र में किसान प्रायः एक ही दुधारू पशु पालने की क्षमता रखते हैं इसलिए वे प्रतिवर्ष निर्धारित मानकों को पूरा नहीं कर सकते। पत्र में उन्होंने कहा है कि जिन समितियों में जैसे-तैसे चुनाव संपन्न भी करा लिए गए हैं इन नियमों के चलते उनमें अगले वर्ष फिर चुनाव कराने की स्थिति पैदा हो सकती है । समिति की प्रवंध कमेटी हेतु 500रूपये अध्यक्ष हेतु 1000रूपये आवेदन शुल्क को गरीब दुग्ध उत्पादकों के लिए अधिक बताते हुए आवेदन शुल्क 100रूपये किये जाने की मांग की गयी है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि दुग्ध सहकारिता के कुछ नियम पहाड़ के अनुकूल नहीं हैं इसलिए दुग्ध समितियों को अस्थिरता का शिकार होने से बचाने के लिए उन्हें बदलने की आवश्यकता है पत्र कि प्रतिलिपि प्रधानमंत्री, केन्द्रीय सहकारिता मंत्री के साथ साथ सचिव दुग्ध विकास, जिलाधिकारी अल्मोड़ा, सहायक निदेशक को भी भेजी गयी है।एक अन्य पत्र में प्रधान प्रवंधक दुग्ध संघ अल्मोड़ा से हेड लोड दूरी बार बार प्रमाणित कराने को अनावश्यक बताते हुए कहा है कि इससे दूरी कम या अधिक नहीं हो जायेगी।

    दुग्ध संघ को उन समितियों की हेड लोड दूरी नापनी चाहिए जिन्हें बहुत अधिक हेड लोड दिये जाने की आशंका हो या फिर जिन मार्गों में दुग्ध परिवहन वाहनों के मार्ग का विस्तार कर दिया गया है । इस तरह बार-बार प्रत्येक समिति से दूरी प्रमाण पत्र मागना केवल समय नष्ट करना है।

    By swati tewari

    working in digital media since 5 year

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