अल्मोड़ा। पिता की चिता में मुखाग्नि सिर्फ बेटा ही दे सकता है। बेटियां चिता को आग नहीं लगा सकती। कुछ साल पहले तक ये बात अमूमन कही जाती। आज के दौर में नहीं। अल्मोड़ा नगर में भी आज सामाजिक सोच से ऊपर उठकर तीन बेटियों ने अपने पिता की अंतिम शवयात्रा में कंधा लगाया। विश्वनाथ श्मशान घाट में पिता की चिता को मुखाग्नि भी दी। अंतिम संस्कार की सारी रस्में खुद निभाई।
दरअसल यह अल्मोड़ा के रानीधारा में रहने वाले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अल्मोड़ा से रिटायर बसंत बल्लभ पांडे (82) का बीते बुधवार को निधन हो गया। अस्पताल में उनको डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
कुछ माह पहले उनके पुत्र पत्रकार, आंदोलकारी और अधिवक्ता दिनेश पांडे का भी निधन हो गया था। परिवार में बुजुर्ग के निधन के बाद शोक छा गया।
आज बुजुर्ग का अंतिम संस्कार नगर के विश्वनाथ घाट में किया गया। यहां पर उनकी बेटी अधिवक्ता सुनीता पांडेय, मध्य प्रदेश में शिक्षक भावना पंत और भारती ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। तीनों बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा भी दिया। अंतिम संस्कार की सारी रस्में खुद निभाई। सभी ने बेटियों के इस काम की सराहना की।
विश्वनाथ घाट में विधायक मनोज तिवारी, पूर्व सभासद अशोक पांडेय, शेखर लखचौरा, पूर्व बार एसोसिएशन अध्यक्ष महेश परिहार,उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी, अधिवक्ता हरीश जोशी,जमन सिंह, केवल सती, तिर्लोचन जोशी, महेश कुमार, रमेश नेगी,जगत रौतेला,कुंदन भंडारी,कमल जोशी,अशोक पंत, भारत रत्न पांडे, किशन पांडेय, आरपी जोशी, स्वप्निल पांडे आदि मौजूद रहे।
