• Tue. Dec 2nd, 2025

    उत्तराखंड में 45 विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति पर उठा सवाल, बिना पंजीकरण और डिग्री प्रमाण के नियुक्ति का आरोप

    देहरादून/नैनीताल। उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में है। राज्य सरकार द्वारा 45 विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति पर गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए पूर्व कृषि अधिकारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता चन्द्र शेखर जोशी ने मुख्य सचिव, सचिव स्वास्थ्य एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को विस्तृत शिकायत पत्र भेजा है। पत्र में यह दावा किया गया है कि नियुक्त चिकित्सकों में से कई के पास न तो विश्वविद्यालय/NBE द्वारा जारी मान्य पीजी डिग्री है और न ही उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल (UMC) में पंजीकरण।

    DG Health कार्यालय पर लापरवाही का आरोप
    शिकायतकर्ता का आरोप है कि DGHealth कार्यालय से RTI के माध्यम से मांगी गई प्रमाणित डिग्रियां और पंजीकरण की जानकारी नहीं दी गई। इसके बजाय “सूचना उपलब्ध नहीं है” कहकर जवाब टाल दिया गया। इसके बाद भी जब UMC द्वारा भी यह स्पष्ट किया गया कि बिना पंजीकरण PG डिग्री को Add नहीं किया जा सकता, तब भी इन चिकित्सकों की नियुक्ति को रद्द नहीं किया गया।

    गंभीर प्रशासनिक चूक का मामला


    शिकायत पत्र में यह भी कहा गया है कि DGHealth कार्यालय ने बिना किसी सक्षम अधिकारी की अनुमति या जांच के यह नियुक्तियां कीं। RTI से प्राप्त दस्तावेज़ों से यह स्पष्ट हुआ कि न तो Review Officer, Section Officer, Deputy Secretary और न ही Additional Secretary की ओर से इन दस्तावेज़ों की पुष्टि नहीं की। बावजूद इसके सचिव स्तर से आगे यह नियुक्ति की गई।

    मांग की गई है कि:

    1. इन 45 विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति की तत्काल निष्पक्ष जांच की जाए।
    2. जिन चिकित्सकों के पास मान्य PG डिग्री और UMC पंजीकरण नहीं है, उनकी नियुक्ति रद्द/निरस्त की जाए।
    3. दोषी अधिकारियों की जवाबदेही तय करते हुए विभागीय कार्यवाही की जाए।
    4. NBE एवं विश्वविद्यालय से प्रमाणित डिग्री एवं पंजीकरण दस्तावेजों को सार्वजनिक किया जाए।

    उच्च स्तर पर प्रेषित शिकायत
    यह पत्र मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत, मुख्य न्यायाधीश उत्तराखंड उच्च न्यायालय, भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय, राज्यपाल उत्तराखंड, मुख्य सचिव एवं अध्यक्ष उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल को भी भेजा गया है।

    क्या कहता है कानून?


    UMC के नियमों के अनुसार, बिना वैध पंजीकरण कोई भी चिकित्सक राज्य में प्रैक्टिस नहीं कर सकता। यदि शिकायत सही पाई जाती है, तो यह सीधे-सीधे चिकित्सा सेवा नियमों का उल्लंघन है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है।

    सरकार की चुप्पी पर सवाल


    अब तक इस मामले पर सरकार या स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। यदि जांच होती है और आरोप सही साबित होते हैं, तो यह उत्तराखंड की स्वास्थ्य प्रणाली में गहरे भ्रष्टाचार और लापरवाही की ओर इशारा करेगा।

    By D S Sijwali

    Work on Mass Media since 2002 ........

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *