अल्मोड़ा। जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में मेरे हौसलों की उड़ान थीम पर दो दिनी बालिका पंचायत हुई। इस दौरान बालिकाओं की समूह गायन, मेंहदी, ऐपण, लोकनृत्य प्रतियोगिता आयोजित की गई।
कार्यक्रम में सीडीओ आकांक्षा कोंडे ने कहा कि आज के दौर में बेटियां किसी से कम नहीं हैं। उन्हें सफलता का मुकाम हासिल करने के लिए कठिन परिश्रम करना चाहिए, निश्चित तौर पर सफलता मिलेगी।शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में लमगड़ा की बीईओ प्रेमा बिष्ट ने कहा कि हम अपनी क्षमताओं का आंकलन नहीं कर पाते, इससे सफलता पाने के लिए जूझना पड़ता है। कहा कि बेटियों को अपनी क्षमता को पहचानना होगा।
स्याल्दे की बीईओ वंदना रौतेला ने कहा कि बालिकाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना होगा। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. दीपा जलाल ने बताया कि बालिकाओं को आत्मनिर्भर और साहसी बनाने के लिए डायट पिछले तीन साल से इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। अध्यक्षता डायट प्राचार्य जीजी गोस्वामी और संचालन डॉ. दीपा, डॉ. हेम जोशी, डॉ. विद्या कर्नाटक ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यक्रम समन्वयक डा. हेमचन्द्र जोशी ने बताया कि सर्वप्रथम विकासखण्ड स्तर पर इन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, उसके पश्चात जिला स्तर पर सभी विकासखंडो में प्रतिस्पर्धा होती है, कार्यक्रम समन्वयक डा. दीया जलाल ने जानकारी दी कि किशोरियों को आत्मनिर्भर व साहसी बनाने हेतु डायट अल्मोड़ा विगत तीन वर्षों से इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। इस कार्यक्रम में ऐपण प्रतियोगिता, मेहंदी प्रतियोगिता, कवि सम्मेलन,हस्त शिल्प, लोकगीत, लोक नृत्य में प्रतिस्पर्धा होती है, कार्यक्रम में, डा. नीलम नेगी, मीरा जोगी, मीनू जोशी, डा. नीलम विष्ट, विनीता जोगी, डा. प्रीति आर्या, डा. बी. सी. पाण्डेय,’ जी.एस. गैडा, सवित जनीटी, अनिल कांडपाल , नवीन जोशी, भानु प्रकाश जोशी, किरन भाकुनी ज्योती पांडे , प्रीति पांडे , शैलजा नयाल, मीरा जोशी, दीप्ती पुनेठा , नीतू शूद, कल्पना वर्मा आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डायट प्राचार्य सी. जी गोस्वामी ने की। कार्यक्रम का संचालन डा. दीपा जलाल, डा. हेमा जोशी, डा. विद्या कर्नाटक ने संयुक्त रूप से किया।
प्रतियोगिताओं के परिणाम
गायन में भैंसियाछाना विकासखण्ड जी.जी.आई. सी. बाड़ेछीना (समूह गान),मेंहदी- सलोनी जीना, ऐपण -अंजली आर्य, हस्तशिल्प – हर्षिता पांडे , उमा भट्ट (भैंसियाछाना), लोकनृत्य विकास खण्ड भैंसियाछाना, कविसम्मेलन -हवाल बाग का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा।
