लहूलुहान होकर भी अंत तक लड़ता रहें लक्ष्य, मेडल से चूके
अल्मोड़ा। आज सोमवार को पेरिस ओलंपिक में बैडमिंटन पुरुष एकल के मुकाबले में लक्ष्य सेन का सामना मलेशिया के ली जी जिया से हुआ। ली जी ने यह मैच जीतकर मलेशिया के खाते में एक और पदक जोड़ दिया है। मुकाबले में लक्ष्य की कोहनी से लगातार खून बह रहा था, इसके बावजूद उन्होंने अंत तक फाइट जारी रखी।
ली जी ने 2–1 की बढ़त से मैच जीतकर कांस्य पदक अपने नाम किया
आज कांस्य पदक के लिए भारत के लक्ष्य सेन और मलेशिया के ली जी जिया के बीच खेले गए मैच में ली जी ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए 2–1 की बढ़त के साथ मैच जीतकर कांस्य पदक अपने नाम किया।
इससे पहले लक्ष्य का मलेशियाई प्रतिद्वंदी के खिलाफ रहा था शानदार प्रदर्शन
इससे पहले लक्ष्य सेन का अपने मलेशियाई प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ प्रदर्शन शानदार रहा है। वह तीन बार ली जिया के खिलाफ खेल चुके हैं और उनमें से दो मैचों में जीत दर्ज की है। इस साल के ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप में लक्ष्य सेन ने क्वार्टरफाइनल मैच में 20-22, 21-16, 21-19 से ली जिया को हराया था। पिछले साल इंडोनेशिया ओपन के पहले राउंड में भी लक्ष्य सेन ने 21-17, 21-13 से सीधे गेम में जीत दर्ज की थी।
लड़कर हारे लक्ष्य सेन पहला गेम एकतरफा अंदाज में 21-13 से जीतने के बाद दूसरे गेम में भी लक्ष्य सेन का दबदबा साफतौर पर देखा जा सकता था। पूरे मैच में मलेशिया के ली जी जिया पहली बार दूसरे गेम में ही लीड ले पाए, जब उन्होंने पीछे से आते हुए स्कोर 9-8 किया, ये लीड देखते ही देखते उनके पक्ष में 12-8 हो गई, लक्ष्य सेन ने लगातार चार पॉइंट लेते हुए वापसी की पूरी कोशिश की, लेकिन दूसरा गेम वह 16-21 से हार गए।
तीसरे सेट में लक्ष्य हुए चोटिल भारत के लक्ष्य सेन और मलेशिया के ली जी जिया के बीच तीसरे सेट में कड़ा मुकाबला हुआ। मलेशियाई खिलाड़ी इस सेट में लक्ष्य सेन पर भारी नजर आए क्योंकि लक्ष्य के दाएं हाथ मे दर्द हो रहा था। दर्द के बावजूद लक्ष्य ने हिम्मत नहीं हारी और मुकाबला जारी रखा। लेकिन, उनके इतने प्रयास भारत को पदक दिलाने के लिए नाकाफी थे। मलेशिया के ली जी जिया ने तीसरा सेट 21-11 से जीता और ब्रॉन्ज मेडल पर अपना कब्जा जमा लिया।
अल्मोड़ा के युवा शटलर ने पेरिस में किया भारत और उत्तराखंड का नाम रोशन
उत्तराखंड के पर्वतीय नगर अल्मोड़ा के युवा खिलाड़ी लक्ष्य बचपन से ही खेल के प्रति समर्पित रहे हैं और उनको इसमें अपने परिवार का पूरा सहयोग मिला है। 22 साल की उम्र में ही लक्ष्य ने ओलंपिक में सेमीफाइनल तक पहुंच कर अल्मोड़ा का नाम देश और दुनिया प्रकाशित किया है। लक्ष्य की यह उपलब्धि उत्तराखंड वासियों के लिए गौरवान्वित करने वाला अनुभव है।
