पर्वतीय कला व सांस्कृतिक मंच पटेल नगर दिल्ली में रामलीला आयोजन में बागेश्वर कुंवारी गांव की लक्ष्मी दानू जो वर्तमान में अपने परिवार के साथ पटेल नगर में रहती है। लक्ष्मी दानू लोकनृत्य लोकलाकार को पर्वतीय कला एवं सांस्कृतिक मंच पटेल नगर दिल्ली में रामलीला में लोकनृत्य करने का प्रतिभाग मिला। अपनी सुंदर वह शानदार सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुति से आए दर्शकों का मन मोह लिया।
लक्ष्मी दानू लोकनृत्य लोकलाकार ने कुमाऊं कल्चर में रामलीला मंच में लोकनृत्य करते हुए लोगों का दिल मोह कर दिया। लक्ष्मी दानू गरीब व साधारण परिवार की रहने वाली मात्र शक्ति है। बागेश्वर जिले के कुंवारी गांव की ये मात्र शक्ति अपने पति व दो बच्चों के साथ दिल्ली में रहती है। लक्ष्मी दानू बचपन से ही उत्तराखंड की लोक-संस्कृति में दिलचस्पी रखनी। अपने घर का कामकाज के साथ-साथ लक्ष्मी दानू ने अलग अलग अलग अंदाज में कुमाऊं व गढ़वाल के लोकगीतो के लोकनृत्य विडियो अपलोड करती रही।
26साल की लक्ष्मी दानू बिना परीक्षण व बिना किसी के सहयोग सोसल मीडिया व इंस्टाग्राम में अपनी लोकनृत्य की विडियो डालकर हमेशा लगी रही। इंसान की लगन व मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। लक्ष्मी दानू आज़कल सोशल मीडिया में छाई अपनी अलग ही पहचान बना रही है। प्रताप सिंह नेगी समाजसेवी ने बताया लक्ष्मी दानू के पिताजी बचपन में गुजर गए थे एक गरीब परिवार से लड़की ने अपनी उतराखड की संस्कृति को महत्व दिया।
लक्ष्मी दानू ने जज्बा से अपने लोकनृत्य कला से दिल्ली में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम व प्रगति मैदान मुख्यमंत्री के कार्यक्रम व लालकिले में भारत पर्व व अन्य संस्थाओं के सांस्कृतिक मंचों अपनी लोकला से लोकनृत्य किया।

यहां तक की दिल्ली में राष्ट्रपति मुर्मू के द्वारा भी सम्मानित किया गया।
प्रताप सिंह नेगी समाजसेवी ने लक्ष्मी दानू लोकनृत्य लोकलाकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि और भी उत्तराखंड की मात्र शक्ति को अपनी उत्तराखंड की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए आगे आना चाहिए। उत्तराखंड की संस्कृति व लोककला अपने ही उत्तराखंड में नहीं बल्कि देश में भी एक खाश पहचान है।
