उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज बुधवार को हल्द्वानी के काठगोदाम में कुमाऊं रेजिमेंट के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र के पहले प्राप्तकर्ता मेजर सोमनाथ शर्मा को श्रद्धांजलि दी।
जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ने आज सुबह परमवीर चक्र मेजर सोमनाथ शर्मा के स्मारक का दौरा किया और उनके स्मारक पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
मेजर शर्मा कुमाऊँ रेजिमेंट की चौथी बटालियन का हिस्सा थे और 1947 में आजादी के तुरंत बाद बड़गाम में तैनात थे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से पाकिस्तानी घुसपैठियों और हमलावरों को खदेड़ते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।3 नवम्बर को प्रकाश की पहली किरण फूटने से पहले मेजर सोमनाथ बदगाम जा पहुँचे और उत्तरी दिशा में उन्होंने दिन के 11 बजे तक अपनी टुकड़ी तैनात कर दी। तभी दुश्मन की क़रीब 500 लोगों की सेना ने उनकी टुकड़ी को तीन तरफ से घेरकर हमला किया और भारी गोला बारी से सोमनाथ के सैनिक हताहत होने लगे। अपनी दक्षता का परिचय देते हुए सोमनाथ ने अपने सैनिकों के साथ गोलियां बरसाते हुए दुश्मन को बढ़ने से रोके रखा। इस दौरान उन्होंने खुद को दुश्मन की गोली बारी के बीच बराबर खतरे में डाला और कपड़े की पट्टियों की मदद से हवाई जहाज को ठीक लक्ष्य की ओर पहुँचने में मदद की।
इस दौरान, सोमनाथ के बहुत से सैनिक वीरगति को प्राप्त हो चुके थे और सैनिकों की कमी महसूस की जा रही थी। सोमनाथ बायाँ हाथ चोट खाया हुआ था और उस पर प्लास्टर बंधा था। इसके बावजूद सोमनाथ खुद मैग्जीन में गोलियां भरकर बंदूक धारी सैनिकों को देते जा रहे थे। तभी एक मोर्टार का निशाना ठीक वहीं पर लगा, जहाँ सोमनाथ मौजूद थे और इस विस्फोट में ही वो शहीद हो गये।
मेजर सोमनाथ शर्मा का जन्म 31 जनवरी 1923 को हुआ था और उनकी मृत्यु 3 नवंबर 1947 को बडगाम की लड़ाई में पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ लड़ते हुए हुई थी।

