दीपावली नजदीक आ रही है और इन दिनों जो सबसे अधिक मिठाई पसंद की जाती है वह है पेठा। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में गोबर के खाद के टिले व अपने घरों के आगन के आसपास लगाया जाना वाला पेठा जिसे ऐश गॉर्ड भी कहते है, सावन भादो में काफी मात्रा में होता है। इसे कुष्मांड या कूष्मांड का फल भुआ, पेठा, भतुआ, कोंहड़ा, कुम्हड़ा आदि नामों से भी जाना जाता है।
औसज से कार्तिक तक ये पेठा पुरी तरह पक जाता है। शुरू में पेठा हरे रंग का होता है। जब-जब बडा होता तो तब ये सफ़ेद कलर का हो जाता है।औसज से कार्तिक के महीने पेठा तैयार हो जाता है ।
पेठा उतराखड राज्य में ही नहीं बल्कि देश के पूर्वी व दक्षिणी राज्यों में पैदा होता है । पेठा को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है । कुम्हड़ा ,भतुआ , कोंहडा, भुआ,भुच्च,भुचेला आदि नामों से जाना जाता है ।पेठा हमारे देश में मिठाई बनाने का काम आता है । प्राचीन काल से आगरा पेठा हमारे देश में प्रसिद्ध माना जाता है । मिठाई बनाने के साथ-साथ पेठा की सब्जी व पेठा खाने अनेक बिमारियों को रोकथाम होती है । पेठा की सब्जी व पेठा , का सेवन करने से क्या फ़ायदे होते जरा देखिए ।
पेठा पोषक तत्वों का भंडार है। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, आयरन, जिंक व आदि तत्व पाये जाते हैं।पेठा इम्नियूटी को बेहतर करने के लिए इलाज के तौर पर इस्तेमाल किया जाता हैं। गैस और कब्ज से राहत देता है। सफेद पेठे के फायदे तनाव को कम करने में भी इस्तेमाल हो सकते हैं।
समाजसेवी प्रताप सिंह नेगी ने बताया कि पेठा मिठाई बनाने के साथ-साथ हमे अनेक बिमारियों से छुटकारा देने वाला आयुर्वेदिक फल की तरह है । इसके साथ-साथ हमारे घरों में पूजा पाठ व अन्य देवी-देवताओं के अनुस्ठान में पेठा को अपने घर के गेट के सामने रखक इस पेठा फल को थोड़ा काट कर रोई, सिंदूर,अछियत,पिठप्या कुछ भेंट रखकर पूजा या हवन-यज्ञ के बाद गेट के दोनो में फोड़ा जाता है।प्राचीन काल से ही ये एक बलि के बराबर माना जाता है आज भी हर जगह पर ये प्रक्रिया होती रहती है।
पेठा फल कद्दू वर्गीय प्रजाति का होता है, इसलिए इसे पेठा कद्दू भी कहते हैं। यह हल्के हरे रंग का होता है और लंबे व गोल आकार में पाया जाता है। इस फल के ऊपर हल्के सफेद रंग की पाउडर जैसी परत चढ़ी होती है। पेठा से रंग बिरंगी टूटी फ्रूटी भी बनाई जाती है। जिसका उपयोग आइसक्रीम में, मीठी ब्रेड़ बनाने, केक, शेक इत्यादि में किया जाता है। इसके बीज को ड्राय फ्रूट के रुप में भी उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, इससे लड्डू और हलवा भी बनाया जाता है।
परन्तु यह भी जान लें जिन लोगों को कुछ नए खाद्य पदार्थ से ज्यादा एलर्जी होती है, उन्हें इससे भी एलर्जी हो सकती है।वहीं गर्भवती और एक साल से कम उम्र के बच्चों को पेठा देने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।