16वीं जनगणना की आधिकारिक घोषणा जारी, पहली बार होगी डिजिटल और जातिगत जनगणना
भारत में 2011 के बाद पहली बार जनगणना होने जा रही है, जिसकी आधिकारिक घोषणा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को की। यह जनगणना दो चरणों में होगी—पहला चरण अक्टूबर 2026 में और दूसरा मार्च 2027 में। यह देश की पहली डिजिटल जनगणना होगी और स्वतंत्रता के बाद पहली बार इसमें जातिगत गणना भी शामिल की जाएगी। इस ऐतिहासिक प्रक्रिया से महिलाओं के आरक्षण विधेयक और लंबे समय से रुकी परिसीमन प्रक्रिया के रास्ते भी खुल सकते हैं।
दो चरणों में होगी डिजिटल जनगणना
सरकार द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार, पहला चरण ‘गृह सूचीकरण संचालन’ (Houselisting Operation) 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा। इस चरण में परिवारों की संपत्ति, आय, सुविधाएं और आवास की स्थिति जैसे विवरण जुटाए जाएंगे। पहली बार नागरिक घर बैठे डिजिटल माध्यम से जनगणना में भाग ले सकेंगे, जिससे आंकड़ों की सटीकता बढ़ेगी और व्यवस्था पर बोझ भी कम होगा।
दूसरा चरण ‘जनसंख्या गणना’ (Population Enumeration) 1 मार्च 2027 से शुरू होगा, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति से जुड़ी जानकारी जैसे उम्र, लिंग, साक्षरता, धर्म, भाषा, व्यवसाय और अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक पहलुओं को दर्ज किया जाएगा। इस चरण में जातिगत आंकड़े भी जुटाए जाएंगे, जिसकी घोषणा केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पहले ही कर दी थी। स्वतंत्रता के बाद पहली बार यह जानकारी राष्ट्रीय जनगणना में दर्ज की जाएगी।
महिला आरक्षण और परिसीमन से जुड़े होंगे परिणाम
सरकार की यह घोषणा संवैधानिक दृष्टि से भी अहम है। महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक-तिहाई आरक्षण देने वाला विधेयक तभी लागू हो सकता है जब जनगणना और उसके बाद परिसीमन की प्रक्रिया पूरी हो। परिसीमन का मतलब है—जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण।
1976 में 42वें संविधान संशोधन द्वारा परिसीमन को स्थगित कर दिया गया था। 2001 में 84वें संशोधन द्वारा राज्यों के भीतर सीमाओं के युक्तिकरण की अनुमति दी गई, लेकिन सीटों की संख्या में कोई बदलाव नहीं किया गया। अब 2026 के बाद पहली जनगणना की औपचारिक घोषणा के साथ ही परिसीमन और महिला आरक्षण की दिशा में ठोस कदम की उम्मीद की जा रही है।