पिथौरागढ़ -बेरीनाग में ऋषि पंचमी को पूर्वजों के लिए भव्य मेला का आयोजन होता है। बेरीनाग के नाग देवता के मंदिर हर साल ऋषि पंचमी को एक दिवसीय मेला नाग देवता के मंदिर में लगता था इस बार बेरीनाग व्यापार मंडल,व नगर पालिका के सौजन्य से दो दिवसीय ऋषि पंचमी मेला का मेला का भव्य आयोजन किया गया।
बेरीनाग में ऋषि पंचमी का मेला 20 और 21 सितंबर को आयोजित किया गया था। यह मेला दो दिवसीय था और इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल थे। बेरीनाग में दो प्रमुख मेले लगते हैं, जो उत्तराखंड में लगने वाले प्रमुख मेलों में से एक हैं। पहला मेला भाद्र शुक्ल पंचमी अर्थात ऋषि पंचमी को लगता है। इस मेले को नाग पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। दूसरा मेला रात का मेला होता है, जो भाद्र शुक्ल पक्ष की अनंत चतुर्दशी को लगता है।
मेले का उद्घाटन 20 सितंबर को नगरपालिका अध्यक्ष हेम पंत ने किया था। पंत ने कहा कि अगले वर्ष से मेले का आयोजन एक सप्ताह तक किया जाएगा और नगरपालिका द्वारा सहयोग किया जाएगा।
क्षेत्रीय लोगों ने बड़ी संख्या में किया प्रतिभाग
इस बार दो दिवसीय ऋषि पंचमी मेले में क्षेत्रीय दुकानदार व कास्तकारो लोगों ने भी अपना प्रतिभाग किया।सुपा,डाला,ठोका आदि सामान भी देखने को मिला। बेरीनाग के अलावा अलग अलग जगहों के लोकलाकार व मात्र शक्ति ने दो मेले में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मेले को सफल बनाने के लिए व्यापारियों और विभिन्न संगठनों ने एक समिति का गठन किया था।
कुमाऊं के संस्कृति में झोडा चांचरी लोकगीत व छौलिया नृत्य बड़े हर्षोल्लास से मनाया गया। ये एक दिवसीय मेला प्राचीन काल से ही बेरीनाग के नाग देवता के मंदिर होते आ रहा है।
इस बार बेरीनाग व्यापार व नगर पालिका के सौजन्य से दो दिवसीय ञषि पंचमी मेला बड़े जोर सोर व अगल अलग अलग कलाकारों व छौलिया डांस व झोड़ा चांचरी के द्वारा संमापन हुआ। 21 सितंबर को बच्चों ने रामलीला मैदान में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गयी ।
प्रताप सिंह (रीठागाडी) ने बताया बेरीनाग में देवी देवताओं के महोत्सव व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए पहले से ही एक अलग अंदाज में पेश आ रहे हैं। मेला महोत्सव में स्थानीय लोक संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है। बेरीनाग नाम से ही पता चलता है कि यह स्थल प्राचीन समय से ही नाग संस्कृति, नाग मेला और नाग मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
