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    आरटीआई में हुआ खुलासा, सिलक्यारा सुंरग रेस्क्यू में खर्च हुए लाखों रूपये

    उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुंरग में फंसीं 41 श्रमिकों की जिंदगी को बचाने पर सरकार, सरकारी विभाग व कंपनी ने दिल खोलकर खर्च किया। 17 दिन तक चले आपरेशन में उत्तरकाशी के 13 सरकारी विभागों ने 65.41 लाख रुपये खर्च किए। वहीं पूरे आपरेशन में कंपनी अब तक 5.49 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए 17 दिन तक रेस्क्यू आपरेशन चला था। श्रमिकों के रेस्क्यू में सबसे अहम भूमिका निभाई जब चट्टानों को भेदने में मशीनें विफल हो गईं, तो इन विशेषज्ञों ने कमान संभाली थी। 28 दिसंबर को श्रमिक बाहर निकाले गए थे। हल्द्वानी के हीरा विहार तिकोनिया निवासी सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत गौनिया ने सीएम कार्यालय के लोग सूचना अधिकारी से चार बिंदुओं 5 पर सूचना मांगी थी। बिंदु संख्या चार में पूछा गया कि श्रमिकों को सुरंग से निकालने पर सरकारी धन कितना खर्च हुआ। जवाब में बताया है कि जल संस्थान उत्तरकाशी ने 18.76 लाख, ऊर्जा निगम उत्तरकाशी ने 14.7 लाख, जिला पूर्ति अधिकारी उत्तरकाशी ने 4.90 लाख, तहसीलदार चिन्यालीसौड़ ने 3.39 लाख, एसडीएम डुंडा ने – 9.21 लाख खर्च किया है। इसी तरह प्रभागीय लौगिंग प्रबंधक उत्तरकाशी ने 43 हजार, जिला समाज कल्याण अधिकारी उत्तरकाशी ने 1.20 लाख, आइटीबीपी 12वीं वाहिनी मातली उत्तरकाशी ने 41 हजार, अधिशासी अभियंता यूजेवीएनएल लि. उत्तरकाशी ने 2.17 लाख, आपदा प्रबंधन अधिकारी उत्तरकाशी ने 2.12 लाख व जिला कार्यालय उत्तरकाशी ने 5.90 लाख रुपये खर्च किया है।

    हालांकि परिवहन व स्वास्थ्य विभाग से संबंधित खर्च का ब्यौरा आरटीआइ में नहीं दिया गया है। सिलक्यारा टनल भूधंसाव को प्राकृतिक आपदा नहीं माना गया और खर्च एसडीआरएफ निधि के मानकों के अंतर्गत की गई है। जिसका भुगतान विभागों को होना बाकी है। मैसर्स नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड की ओर से श्रमिकों को बाहर निकालने में अब तक कुल 5.49 करोड़ रुपये खर्च किया जा चुका है। सिलक्यारा सुरंग 4.859 किलो मीटर लंबी बनाई जा रही है।जिसकी अनुमानिक लागत 1383.78 करोड़ रुपये है।

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