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21 जुलाई को श्रावण कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि सोमवार का दिन है। एकादशी तिथि 21 जुलाई की सुबह 9 बजकर 40 मिनट तक रहेगी, उसके बाद द्वादशी तिथि लग जाएगी। साथ ही सावन महीने का दूसरा सोमवार व्रत है। फिर शाम 7 बजकर 39 मिनट तक वृद्धि योग रहेगा। इसके बाद रात 9 बजकर 7 मिनट तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा। इसके अलावा कामदा एकादशी व्रत है। आइए जान लेते हैं सोमवार का पंचांग, राहुकाल, शुभ मुहूर्त और सूर्योदय-सूर्यास्त का समय।

21 जुलाई 2025 का शुभ मुहूर्त

  • श्रावण कृष्ण पक्ष की एकादशी व द्वादशी तिथि- 21 जुलाई की सुबह 9 बजकर 40 मिनट तक फिर द्वादशी तिथि
  • दिन- सोमवार
  • वृद्धि योग- शाम 7 बजकर 39 मिनट तक
  • रोहिणी नक्षत्र- रात 9 बजकर 7 मिनट तक
  • व्रत और त्योहार- सावन का दूसरा सोमवार व कामदा एकादशी व्रत
  • अभिजीत मुहूर्त-  दोपहर 12:00 बजे से 12:55 बजे तक

राहुकाल का समय

  • दिल्ली- सुबह 07:19 से सुबह 09:02 तक
  • मुंबई- सुबह 07:50 से सुबह 09:28 तक
  • चंडीगढ़- सुबह 07:17 से सुबह 09:01 तक
  • लखनऊ- सुबह 07:07 से सुबह 08:49 तक
  • भोपाल- सुबह 07:26 से सुबह 09:06 तक
  • कोलकाता- सुबह 06:43 से सुबह 08:23 तक
  • अहमदाबाद- सुबह 07:45 से सुबह 09:25 तक
  • चेन्नई- सुबह 07:27 से सुबह 09:03 तक

भगवान विष्णु और शिव की कृपा पाने का अद्भुत संयोग

सावन का सोमवार बेहद खास है। यह दिन भगवान शंकर को बेहद प्रिय है। इसी के साथ इसी दिन कामिका एकादशी भी पड़ रही है। ऐसे में सावन के सोमवार और कामिका एकादशी का अद्भुत संयोग बन रहा है। यह दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है। धार्मिक मान्यता है कि सावन माह का हर एक सोमवार शिव को बेहद प्रिय है। वहीं, एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अति प्रिय है। ऐसे में यह दिन दोनों की कृपा पाने के लिए बेहद शुभ है।

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

  • सूर्योदय का समय- सुबह 05:36 बजे
  • सूर्यास्त का समय- शाम 07:18 बजे

भगवान विष्णु के मंत्र-

  • शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम्। लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं, वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्।
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय:
  • ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्ध लक्ष्मी नारायण नमः
  • ॐ नारायण: विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो नारायण: प्रचोदयात:

भगवान शिव और विष्णु के मंत्र

  • ॐ नमः शिवाय विष्णवे शिवाय विष्णुरूपिणे:
  • शिवाय विष्णु रूपाय शिव रूपाय विष्णवे। शिवस्य हृदयं विष्णुं विष्णोश्च हृदयं शिवः।।
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