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    पहाड़ों की सांस्कृतिक विरासत ऐपण कला को हल्द्वानी में स्वरोजगार का ज़रिया बनाया सोमेश्वर की मंजू ने

    पहाड़ों की सांस्कृतिक विरासत ऐपण कला को हल्द्वानी में स्वरोजगार का ज़रिया बनाया सोमेश्वर की मंजू ने

    ऐपण पहाड़ की वो कला है, जिसे देखते ही उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत सामने आ जाती है। कहते हैं अपनी जड़ों से जुड़ा इंसान हमेशा खास होता है। इसी बात को सच कर दिखाया है उत्तराखंड के सोमेश्वर घाटी के भूलगांव की मंजू रावत ने, जिन्होंने हल्द्वानी में रहकर हमारी सांस्कृतिक धरोहर ऐपण कला को पूरे देश में लोगों तक पहुंचने का काम करते हुए उसे एक स्वरोज़गार का जरिया भी बनाया।

    महिला सशक्तिकरण का यह बेहतरीन उदाहरण है । उन्होंने बताया कि उनका यह सफर घर की दहलीज से शुरू हुआ और वो इस कला को धीरे धीरे सजावट की चीजों,बर्तनों, दीवार घड़ियों, गुलदस्तों,कपड़े मैं एक नया रूप देने लगी और लोगों ने उसे बहुत पसंद किया जिस से उनका आत्मविश्वास बढ़ा।

    ऐपण आर्ट वैसे तो पहाड़ों में हर शुभ कार्य में बनाए जाते हैं, मगर बीते कुछ सालों में इस पारम्परिक कला से रंगे कई आइटम भी तैयार किए गए हैं। उत्तराखंड की पारंपरिक लोक कला ऐपण जिसे कभी लाल मिट्टी (गेरू) और चावल के घोल से घर-आंगन की चौखटों, पूजन स्थलों और पर्व-त्योहारों पर बनाया जाता था आज यही कला सीमाओं को पार कर घरों और बाजारों में अपनी खास जगह बना चुकी है। और मंजू रावत का इसमें बहुत बड़ा योगदान है 

     

    समय की मांग को देखते हुए मंजू जी ने भी इस कला को आधुनिक रूप देते हुए इसे दीवारों, घर की सजावट और त्योहारों से जोड़ा है। उनके हाथों से बनी कृतियां परंपरा की खुशबू और आज के समय की खूबसूरती, दोनों को समेटे हुए हैं।

    मंजू रावत द्वारा बनाए जाने वाले ऐपण आर्ट प्रोडक्ट्स कुछ इस प्रकार हैं – 

     

    🖼️ ऐपण वॉल हैंगिंग फ्रेम

    🌙 करवा चौथ सेट

    🙏 पूजा थाली

    🌸 फ्लावर पॉट

    🔑 की-चैन

    🍵 ट्रे

    🕰️ ऐपण हैंगिंग वॉल क्लॉक

     🕉️ तोरण

    🛕 ऐपन डिजाइन मंदिर 

     

     

    जिन्हें ऑर्डर करने के लिए आप इस नंबर पर सम्पर्क कर सकते हैं 👉 8650014283

    By D S Sijwali

    Work on Mass Media since 2002 ........

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