अभी गर्मियों के दिन आए ही नहीं लेकिन बरसाती बारिश भी हो गयी और वनाग्नि से जंगल ही जंगल धुंए से भर उठे। कुछ इसे देवीय प्रकोप मान रहे तो कुछ जलवायु परिवर्तन।
उत्तराखंड में अब तक 104 वनाग्नि की घटनाएं, 164 हेक्टेयर वन क्षेत्र जला, 5 लाख 77 हजार 121 रुपये का आर्थिक नुकसान मौसम शुष्क होने के बाद फायर सीजन में जंगल सुलग रहे हैं। अब तक प्रदेश में कुल 104 वनाग्नि की घटनाएं दर्ज की गईं हैं।
वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन के मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा ने बताया कि उत्तराखंड में 1 नवंबर 2022 से 19 मार्च तक कुल 104 वनाग्नि की घटनाएं रिपोर्ट की जा चुकी हैं। इनमें से गढ़वाल में 53 और कुमाऊं में 38 व अन्य 13 वनाग्नि की घटनाएं घटी है।
वनाग्नि की घटनाओं में कुल 164.95 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जबकि 5 लाख 77 हजार 121 रुपये का आर्थिक नुकसान का आकलन किया गया है। वनाग्नि की घटना में कुमाऊं के एक व्यक्ति घायल हुआ है।
बताते चले कि आज विश्व वानिकी दिवस या अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस हैं। यह हर साल 21 मार्च को मनाया जाता है। विश्व वानिकी दिवस 2023 का विषय “वन और स्वास्थ्य” है। पृथ्वी पर पारिस्थितिक तंत्र के बीच संतुलन बनाए रखने में वनों के मूल्यों, महत्व और योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 21 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस मनाया जाता है। अंधाधुंध और अभूतपूर्व वनों की कटाई, जंगल की आग, सूखा, कीट और कई अन्य कारक वनों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं। यदि समय पर नियंत्रित नहीं किया गया तो ये कारक न केवल जलवायु को प्रभावित करेंगे बल्कि वर्तमान और भावी पीढ़ियों की समृद्धि और कल्याण में भी बाधक बनेंगे।
