Uttarakhand (बड़ी करवाई) जमीन हड़पने में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत शामिल, गहराया ईडी का शिकंजा
प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को उत्तराखंड कांग्रेस के नेता और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत पर अन्य लोगों के साथ मिलकर देहरादून में दो भूखंडों को हड़पने की साजिश रचने का आरोप लगाया, जिनका बाजार मूल्य लगभग 70 करोड़ रुपये है। इस भूमि पर दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस का संचालन किया जाता है। जिसके प्रबंधन हरक सिंह के पुत्र तुषित संभालते हैं। दिसंबर 2024 में जब ईडी ने दोनों प्रकरण में जांच और पूछताछ तेज की थी, तभी से माना जा रहा था कि ईडी कुछ बड़ा करने वाली है।
एजेंसी के अनुसार, सहसपुर में 101 बीघा के दो प्लॉट को 20 जनवरी को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत अस्थायी रूप से जब्त किया गया था। जमीन का पंजीकृत मूल्य 6.56 करोड़ रुपये है, जबकि मौजूदा बाजार अनुमान 70 करोड़ रुपये से अधिक है।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से पहले कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत ने अभी तक कुर्की आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं की है। मनी लॉन्ड्रिंग का मामला रावत के सहयोगी बीरेंद्र सिंह कंडारी के खिलाफ एफआईआर से शुरू हुआ है। आरोपों में फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी शामिल है, जिससे कम कीमत पर जमीन की बिक्री की जा रही है, जिसका संबंध रावत के परिवार द्वारा नियंत्रित ट्रस्ट से है।
जांच में सामने आया है कि हरक सिंह रावत के करीबी सहयोगी बीरेंद्र सिंह कंडारी ने कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए, स्वर्गीय सुशीला रानी के नाम पर दर्ज जमीन को बेहद कम कीमत पर दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा को बेच दिया था। यह जमीन राजस्व विभाग के निर्धारित सर्किल रेट से काफी कम कीमत पर बेची गई थी।जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि दीप्ति रावत इस जमीन के एक हिस्से पर बना दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की चेयरपर्सन हैं। यह संस्थान पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत संचालित होता है, जिस पर हरक सिंह रावत के परिवार और करीबियों का नियंत्रण है।ईडी का कहना है कि सभी आरोपी मिलकर एक साजिश के तहत इस जमीन को अपने नाम पर दर्ज कराना चाहते थे। एजेंसी ने इस मामले में कई दस्तावेजों और बैंक खातों की जांच की है। यह कार्रवाई हरक सिंह रावत और उनके करीबियों के लिए एक बड़ा झटका है। ईडी की इस कार्रवाई से राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है।
कार्बेट में पेड़ कटान का प्रकरण
कार्बेट सफारी प्रकरण में सीबीआई ने अक्टूबर 2023 में मुकदमा दर्ज किया, जबकि दिसंबर 2023 में ईडी की एंट्री हुई। ईडी फरवरी 2024 में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत समेत उनके करीबियों और कई वन अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी भी कर चुकी है। पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के लिए पेड़ों के अवैध कटान का मामला तब सामने आया था, जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने इस संबंध में मिली शिकायत की स्थलीय जांच की। साथ ही शिकायत को सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की गई। इस प्रकरण की अब तक कई एजेंसियां जांच कर चुकी हैं। यह बात सामने आई है कि सफारी के लिए स्वीकृति से अधिक पेड़ों के कटान (163 के सापेक्ष 6000 से अधिक) के साथ ही बड़े पैमाने पर बिना वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति के निर्माण कराए गए। सुप्रीम कोर्ट की उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने इस प्रकरण में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह की भूमिका पर भी प्रश्न उठाते हुए उन्हें भी जिम्मेदार ठहराया था। भारतीय वन सर्वेक्षण की सेटेलाइट जांच में यहां छह हजार से ज्यादा पेड़ों के कटान की बात सामने आई थी। मामले में दो आएफएस पर भी कार्रवाई की जा चुकी है।
