Uttarakhand: एलटी अध्यापकों को अनिवार्य रूप से पांच वर्ष तक पर्वतीय क्षेत्रों में सेवा देनी होगी
राज्य में एलटी (सहायक अध्यापक) संवर्ग में भर्ती होने वाले सभी नए अध्यापकों को अनिवार्य रूप से पांच वर्ष तक पर्वतीय क्षेत्रों में सेवा देनी होगी। सभी शिक्षकों के लिए बायोमेट्रिक हाजिरी भी अनिवार्य की जा रही है। इसकी शिक्षा निदेशालय में बने विद्या समीक्षा केंद्र से निगरानी की जाएगी। स्कूलों में शिक्षकों के न पहुंचने की शिकायत मिलने पर जांच के बाद उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पीठ ने पहली कक्षा से ही नैतिक शिक्षा शुरू करने के निर्देश सरकार को दिए हैं। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान शनिवार को सदन में विपक्ष द्वारा उठाए गए विषय का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार इस वर्ष से 10 लाख बच्चों को निश्शुल्क कापी का वितरण करेगी।राज्य में 613 प्रवक्ताओं की भर्ती का कैलेंडर आ गया है। जल्द ही इसकी परीक्षा आयोजित करा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्कूलों में प्रधानाध्यापक व प्रधानाचार्यों की कमी है। इसका कारण शिक्षक संगठनों का इस विषय पर न्यायालय में वाद दायर करना है। उन्होंने कहा कि यदि संगठन ये वाद वापस ले लेंगे तो फिर एक सप्ताह में पदोन्नति कर दी जाएगी। यदि ऐसा नहीं होता तो सरकार फिर नियमावली बनाकर इनकी तैनाती करेगी। उन्होंने कहा कि पहले 58 विधायकों ने उन्हें पत्र लिखकर इसके लिए रोका था।
उन्होंने कहा कि लोक सेवा आयोग से खंड शिक्षा अधिकारी मिले हैं। इनका प्रशिक्षण पूरा होते ही इन्हें तैनाती पर भेजने की शुरुआत की जाएगी। इससे प्रत्येक खंड में खंड शिक्षा अधिकारी तैनात हो जाएगा। उन्होंने कहा कि स्कूलों में जहां भी मध्याह्न भोजन बनता है वहां गैस के चूल्हे उपलब्ध कराए जाएंगे। जिन स्कूलों में व्यवस्था होगी, वहां सोलर पैनल लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि डीएलएड का विषय अभी कोर्ट में लंबित है।शिक्षा का अधिकार अधिनियम का लाभ पात्रों को नहीं मिल पा रहा है। विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि पहाड़ के गांवों से हो रहे पलायन के पीछे एक बड़ा कारण शिक्षा व्यवस्था की बदहाली है। उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, ममता राकेश, गोपाल सिंह राणा, विक्रम नेगी, रवि बहादुर, वीरेंद्र जाति, लखपत बुटोला व हरीश धामी ने भी अपनी बात रखी।