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    चुनाव के चलते YouTube ने हटाए 2.25 मिलियन विडियो, AI का लिया सहारा

    चुनावी घमासान के बीच सोशल मीडिया कंपनियों का कदम

    भारत में लोकसभा चुनाव के आगामी आयोजन के बीच, चुनावी फरेब और मिसइनफॉर्मेशन को रोकने के लिए सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों का साझा प्रयास देखने को मिल रहा है। यहां तक कि यूट्यूब जैसी प्लेटफ़ॉर्म ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि वे डिजिटल फरेब और मिसइनफॉर्मेशन को रोकने के लिए कठिन कदम उठा रहे हैं।लोकसभा चुनाव के आसपास डीपफेक और मिस इंफॉर्मेशन के खतरे को लेकर सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों का संघर्ष, जांच और निष्पक्षता की मांग।

    सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स द्वारा किए गए कदम

    यूट्यूब ने बीते कुछ महीनों में 2.25 मिलियन वीडियो हटाए, जो फ़रेबी, नफ़रत फैलाने या हिंसा से जुड़े थे। साथ ही, ये प्लेटफ़ॉर्म एक नए टूल का भी उपयोग कर रहे हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं को यह जानकारी मिलेगी कि कोई वीडियो AI जेनरेटेड है या नहीं। इसके साथ ही, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स वोटिंग से जुड़े वीडियो पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं।

    सुप्रीम कोर्ट का तंज, सोशल मीडिया पर सख्ती का निर्देश

    सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर आरोप लगाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की चेतावनी दी है। यह निर्देश उस समय आया, जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के खिलाफ एक अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में एक यूट्यूबर को गिरफ्तार किया गया था।

    जर्नलिस्टों का तंज, स्वतंत्र मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका पर सवाल

    कुछ जर्नलिस्ट और स्वतंत्र पत्रकार इस निर्देश को संविदा विरोधी बता रहे हैं, क्योंकि यह सरकार की स्वतंत्रता को कट्टरता से प्रतिबंधित करने का प्रयास लगता है।

    इस प्रकार, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स और सरकार का साझा प्रयास लोकतंत्र को सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

    यह कदम न केवल चुनावी फरेब और मिसइनफॉर्मेशन को रोकेगा, बल्कि सोशल मीडिया पर सख्त कानूनी कदम उठाने वाले लोगों को भी चेतावनी देगा।

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