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    कनारीछीना गांव की पार्वती देवी लोकगीतों के माध्यम से बना रही पहचान

    अल्मोड़ा -रीठागाड पट्टी के कनारीछीना गांव की62 साल की पार्वती देवी लोकलाकर ने इन दिनों अपने मधुर आवाज से लोगों का दिल मोह लिया। पार्वती देवी लोकलाकर रजूला मालूशाही की गाथा व कथा और स्वगीर्य मोहन सिंह रीठागाडी लोकलाकर के तर्ज़ में गाने वाली महिला है। रजुला मालूशाही की गाथा के साथ साथ झोडा चांचरी, लोकगीत भजन कीर्तन व हास्य कला व नाटको में भी एक अलग ही पहचान रखने वाली लोकगायिका है।

    पार्वती देवी बचपन से ही लोकगीत व रजुला मालूशाही व झोडा चांचरी में दिलचस्पी रखती थी। इन्होंने यह लोककला रेडियो व टेप रिकॉर्डर से सीखा।आज भी 62साल की उम्र मे पार्वती देवी अपने लोकला के द्वारा न्योली व रजुला मालूशाही की गाथा व कथा छोटे मोटे प्रोग्रामो करती रहती है।

    स्वगीर्य मोहन सिंह रीठागाडी लोकलाकर रजूला मालूशाही के गायक थे आज से 50साल पहले पार्वती देवी अपने पति के टेपरिकॉर्डर में रजुला मालूशाही सुन सुनकर रजुला मालूशाही की लोकगायक के तौर पर अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है। इंसान में लगन व हुनर होना चाहिए। जैसे पार्वती देवी ने रजुला मालूशाही की गाथा को आज भी युवा पीढ़ी के लिए धरोहर के तौर रखा ऐसे ही अपनी संस्कृति को हमने उजागर करने सहयोग करना चाहिए।

    प्रताप सिंह नेगी रीठागाडी दगड़ियों संघर्ष समिति के अध्यक्ष ने पार्वती देवी के द्वारा रजुला मालूशाही की गाथा की प्रसंसा करते हुए शासन प्रशासन से निवेदन किया उत्तराखंड के सांस्कृतिक मंचों में पार्वती देवी को रजुला मालूशाही व झोडा चांचरी के लिए अवसर देना चाहिए। रीठागाड क्षेत्र को प्राचीन काल से ही रंगीली रीठागाड माना जाता है। जैसे पार्वती देवी लोकगीत व झोडा चांचरी, रजुला मालूशाही, न्योली गाती है ऐसी ही बहुत सी महिलाएं हैं रीठागाड जो पार्वती देवी की रजुला मालूशाही, न्योली झोडा चांचरी की जानकार हैं।

    नेगी बताया हमारे क्षेत्र में इन बुजुर्ग महिलाओं को ना आज तक कोई मंच मिला और ना इनको कोई लोकलाकारी पैंशन। उत्तराखंड सरकार को ऐसे लोकलाकर महिलाओं उत्तराखंड सांस्कृतिक मंचों में अवसर देना चाहिए।इनकी लोककला को देखते हुए इन्हें प्रोत्साहन के रूप में लोकलाकारी पैंशन लागू करनी चाहिए।

    By swati tewari

    working in digital media since 5 year

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