बारिश भी नहीं बनी बाधा, बरसाती पहनकर धान की रोपाई में जुटी है पहाड़ की महिलाएं
उत्तराखंड के पहाड़ो में आज भी जीवित है पारम्परिक कृषि परम्परा, क्या कुमाऊं क्या गढ़वाल! यहाँ के ग्रामीण क्षेत्रों में आजकल भारी बारिश के बीच भी अधिकतर महिलाएं रोपाई लगाते हुए मिल जाएंगी। हरे भरे पहाड़ों के बीच सीढ़ीनुमा खेतोँ में मानव और प्रकृति के बीच का तालमेल अत्यंत रमणीय प्रतीत होते हैं।
रुद्रप्रयाग -विकास खंड जखोली के ग्राम पंचायत चका फलाती में इन दिनों रोपाई बडी जोर सोर से चल रही है।
चार पांच दिनों भारी वर्षा होने के बाबजूद भी ग्राम पंचायत चका फलाती के महिलाओं व ग्रामीणों ने रोपाई करने के लिए हार नहीं मानी ।
रैन कोर्ट व बरसाती पहनकर अपने खेतों के साथ दूसरे खेतों में रोपाई करने का सिलसिला पांच जुलाई से जारी है।
रुदप्रयाग जिले का जखोली विकास खंड के ग्राम पंचायत के चका फलाती गांव में धान व गेहूं की खेती बहुत अच्छी होती है।
यहां के ग्रामीण लोग व महिला अपनी खेती पाती के लिए अपने अपने, स्तर से एक दूसरे को सहयोग करके धान की रोपाई के लिए हमेशा प्रयासरत रत है।
रुद्रप्रयाग छिनका गांव की सरिता नेगी अपने मायके के भाई लोगों के खेत की रोपाई के लिए टैक्टर के द्धरा खेतों में टैक्टर चला कर धान की रोपाई के लिए तैयारी करने में जुटी है।
प्रताप सिंह नेगी समाजिक कार्यकर्ता ने बताया सरिता नेगी एक आशा कार्यकर्ता व साधारण परिवार तीन बच्चों की मां है।
सरिता नेगी आशा कार्यकर्ता के साथ साथ अपने छिनका गांव की रोपाई करके अपने मायके वालों की रोपाई के लिए टैक्टर के द्वारा रोपाई के लिए तैयारी में जुटी है।
सरिता नेगी का जब्बा देखिये इस, बरसात में रोपाई के लिए खेतों टैक्टर चला रही है।
नेगी ने बताया पांच जुलाई से इन खेतों में टैक्टर के द्वारा सरिता नेगी के अथक प्रयास से रोपाई हो रही है।
उत्तराखंड में सरिता नेगी की तरह और भी महिलाओं को टैक्टर के द्वारा बंजर खेतों की रोपाई के लिए आगे आना चाहिए।
रुद्रप्रयाग के जखोली बिकास के चका फलाती गाव में रैन कोट पहनकर महिलाओं के द्वारा पांच जुलाई से रोपाई जारी है। सरिता नेगी, यशवंत कंडारी, पुष्पा देवी, सुनीता देवी, ममता देवी, कन्हैया भंडारी, सत्येन्द्र कंडारी, किरन देवी, रजनी देवी आदि गांव के पुरुषों के द्बारा रोपाई का काम जारी है।

पिथौरागढ़ -धारचूला के विकास खंड मुनस्यारी के ग्राम पंचायत खतेड़ा तल्ला जोहर मुनस्यारी स्थित गांव में रोपाई, गुड़ाई निराई,की करने की परंपरा आज भी प्रचलित है।
इस ग्राम पंचायत व गांव से युवाओं के द्वारा पलायन होंने से लोग खेती पाती धीरे धीरे लुप्त होते जा रही।
धारचूला बिधान सभा ब्लाक मुनस्यारी का ये तल्ला जोहर मुनस्यारी गांव धान व गेहूं की खेती के लिए पूरे विकास खंड के लिए मशहूर बताया जाता है।
लेकिन उत्तराखंड पृथक राज्य के बाद तल्ला जोहर मुनस्यारी गांव का पलायन होंने के बाद यहां के दो चार महिलाएं व दो चार पुरूष हर साल एक दूसरे के सहयोग से रोपाई व गुड़ाई करते आ रहे हैं।
कोमल चौहान ने बताया हमारे गांव ही नहीं बल्कि पूरे ग्राम पंचायत से उत्तराखंड प्रथक राज्य बनने के बाद पलायन की रफ्तार बड़ते जा रही है।
लेकिन हमारी ग्राम पंचायत में धान, गेहूं,मडुवा,मदिरा बहुत अच्छी पैदावार में होता था लेकिन रोजगार व शिक्षा व स्वास्थ्य के अभाव में पलायन होंने से हमारे ग्राम पंचायत व हमारे गांव में लोगों ने खेती करना धीरे-धीरे छोड़ दिया।
कुछ धरातलीय स्तर की महिलाओं व पुरुषों के सहयोग के जरिये हमारे ग्राम पंचायत में अभी धान की रोपाई की परंपरा चली आ रही है।
शंकर प्रसाद जी ने कहा हम लोग इस, खेती पाती से अपने घर परिवार का दिनचर्या चलाते थे।
लेकिन आज एक तरफ हमारी ग्राम पंचायत से पलायन दूसरी तरफ बंदरों व जंगली जानवरों का आतंक।
कुंदन सिंह ने बताया पिथौरागढ़ जिला नहीं उत्तराखंड राज्य का मिनी कश्मीर के नाम से धारचूला बिधान के ब्लाक मुनस्यारी माना जाता है।
गर्मी के मौसम में भी मुनस्यारी विकास खंड में हमेशा ठंड जैसा मौसम दिखता है।
मुनस्यारी विकास का मुख्य व्यवसाय भेड़ बकरी,गाय भैंस ,व खेती पाती था।
लेकिन पलायन के बाद धीरे-धीरे सब लुप्त होने की कगार मे है।
जो लोग खेती पाती करते तो उन लोगों की खेती के लिए बंदर व जंगली जानवरों ने खेती करना दुर्गम कर दिया। गोमती चुफाल ने अपने ग्राम पंचायत व गांव के पलायन व जंगली जानवरों व बंदरों के आतंक के कारण खेती पाती करना दुर्लभ के शासन प्रशासन ने गांवों के लिए कुछ ना कुछ कारवाई करनी चाहिए। ताकि बंदर व जंगली सुअरों का आतंक में रोकथाम हो सके।
