अल्मोड़ा -चौखुटिया मां अगनेरी मंदिर में तीन-दिवसीय अष्टमी मेले का समापन।
चैत्र के नवरात्रों में इस अगनेरी मां मंदिर मंदिर में प्राचीन काल से ही तीन दिवसीय मेला कार्यक्रम होते आ रहा है,ये तीन दिवसीय कार्यक्रम में अलग अलग जगह से लोकलाकारो के द्धारा सांस्कृतिक कार्यक्रम व अन्य देवी देवताओं के गाथा संबंधित जागर भी गाया जाता है।
प्रताप सिंह नेगी समाजिक कार्यकर्ता (अल्मोड़ा) ने बताया किइस बार आठ जिलों के महिला शिष्ट मंडल के द्धारा पहली बार मां अगनेरी मंदिर चखुटिया में अभिनयू चक्रव्यूह भेदन का कार्यक्रम किया गया।
चक्रव्यूह भेदन का कार्यक्रम
उत्तराखंड पंतजलि से प्रभारी लक्ष्मी शाह के नेतृत्व में संचालन लीला जोशी , अर्जुन हेमलता भट्ट, गुरु द्रोणाचार्य,शशि नेगी,भीम परमेश्वरी बिष्ट, अभिमन्यु लक्ष्मी शाह दुर्योधन मीना राणा,नकुल तनुजा मैथानी, युधिष्ठिर सुरेशी पंवार, महादेव सुसीला बिष्ट,गाइन कलाकार सीमा गुसाई, मीना नौटियाल, आरती गुसाई, मुन्नी बिष्ट पुष्पा कनवाशी आदि महिलाएं महजदू रही ।



मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के नीति के अनुसार अर्जून के पुत्र अभिमन्यु को ही चक्रव्यूह भेदने का आदेश दिया अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदना मां सुभद्रा के गर्भ में ही सीख लिए थे लेकिन चक्रव्यूह से बहार आना नहीं जानते थे अभिमन्यु ने चक्रव्यूह से बाहर आने की शिक्षा नहीं सीखी थी। अभिमन्यु के चक्रव्यूह भेदते समय चक्रव्यूह के सातों द्बार जयद्रथ व सातों युद्धाओ ने घेर दिया अभिमन्यु की निरम हत्या कर दी जो युद्ध के नियमों के बिरुद था। चक्रव्यूह पक्ष विपक्ष के लड़ने केलिए एक व्यू था इसमें सात द्बार थे इसका अंदर जाने का रास्ता दिखता लेकिन बहार आने का रास्ता किसी को मालूम नहीं था इस चक्रव्यूह की रचना द्रोण ने की थी । कौरवो के द्धारा बनाया गया युधिष्ठिर को चक्रव्यूह भेदना नहीं आता था युधिष्ठिर को बंदी बनाया था। चक्रव्यूह से बाहर निकालने की विद्या व चक्रव्यूह भेदने की बिधा सिर्फ भगवान श्री कृष्ण, अर्जुन, द्रोण प्रधुम ही जानते थे

