नैनीझील की दीवारों में दरार, अधिकारी समाधान में जुटे, मरम्मत कार्य जारी Cracks in the walls of Nainijil, officers engaged in solution, repair work continues
नैनीताल की पहचान मानी जाने वाली नैनीझील इन दिनों एक नई चुनौती का सामना कर रही है। नैनीझील की किनारों से लगी दीवारें कमजोर होती जा रही हैं और कई जगहों पर इनमें दरारें भी देखी जा रही हैं। यह स्थिति आने वाले समय में झील के अस्तित्व के लिए खतरे की घंटी बन सकती है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन दीवारों की क्षति के पीछे जिम्मेदार झील किनारे बिल बना चुके चूहे और झील के भीतर पाई जाने वाली मछलियां हैंमल्लीताल क्षेत्र में बोट हाउस क्लब, पंत पार्क, बैंड स्टैंड से लेकर कैपिटल सिनेमा तक की दीवारों की हालत काफी कमजोर हो चुकी है। कई जगहों पर दीवारें दरकने लगी हैं और जमीन में भी धंसाव देखा जा रहा है। स्थानीय नाविकों और दुकानदारों के मुताबिक, इन दीवारों में चूहों द्वारा बनाए गए बिलों से स्थिति और भी गंभीर हो गई हैनैनीताल नाव मालिक समिति के सचिव नरेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि पंत पार्क, बोट स्टैंड और झील के किनारे चूहों की संख्या तेजी से बढ़ी है। उनका मानना है कि झील के पास बिकने वाला भुट्टा (स्वीट कॉर्न) चूहों को आकर्षित कर रहा है। पर्यटक यहां बड़ी संख्या में स्वीट कॉर्न खाते हैं और उसके अवशेष झील किनारे छोड़ देते हैं, जिससे चूहों को आसानी से भोजन मिल रहा है और वे तेजी से झील किनारे पनप रहे हैं। यही चूहे अब दीवारों में बिल बनाकर उन्हें अंदर से खोखला कर रहे हैं।
झील में मौजूद मछलियों का प्रभाव भी दीवारों पर पड़ रहा है। पंतनगर विश्वविद्यालय के मत्स्य विज्ञान विभाग के डॉ. आशुतोष मिश्रा के अनुसार, नैनीझील में पाई जाने वाली कॉमन कार्प मछली मिट्टी को कुरेदकर भोजन तलाशती है। यह मछली झील की तली के साथ-साथ किनारे की दीवारों को भी नुकसान पहुंचा सकती है। उनके अनुसार, यह भी भू-धंसाव और दीवारों के क्षरण का एक बड़ा कारण हो सकता है।