• Tue. Jun 17th, 2025

    शमशान घाट में चिता की राख से अघोरियों ने खेली होली

    हरिद्वार। माँ भवानी शंकर नन्द गिरी किन्नर महाराज (प्रथम किन्नर नागा सन्यासी) ने खड़खड़ी श्मशान में चिता की राख से होली खेली। जिसमें होली के रंगों के साथ चिता की राख का भी उपयोग किया गया।माँ भवानी कहती हैं कि श्मशान की होली एक अत्यधिक प्रतीकात्मक और विशिष्ट सांस्कृतिक धार्मिक प्रथा है, जो सामान्य होली से बहुत अलग होती है। जो जीवन और मृत्यु के चक्र के साथ जुड़ा हुआ है। श्मशान में होली खेलना जीवन, मृत्यु के भेद कों दर्शाता है। इसलिए यहाँ पारंपरिक रंगों के साथ चिता की राख से होली खेली गईं है, जो जीवन की नश्वरता को दर्शाता है।उन्होंने कहा कि यह आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण प्रथा है, जो जीवन और मृत्यु के भेद को पार कर एकता, प्रेम, और साक्षात्कार के रूप में देखी जाती है। एक अघोरी एक अघोर तंत्र और तामसिक साधना के अनुयायी होते हैं, जो साधारण रूप से भगवान शिव के उपासक होते हैं। अघोरी साधना को अत्यधिक कठिन और रहस्यमयी माना जाता है, और यह प्राचीन योगिक और तांत्रिक विधियों पर आधारित होती है।उन्होंने कहा की मशान की होली अघोरी साधकों की तपस्या का ही एक अंग है जो आत्मा की शुद्धि, जीवन-मृत्यु के चक्र को पार करना, और ब्रह्म के साक्षात्कार तक पहुँचने की साधनामाना जाता हैं। इसके लिए हम और अघोरी साधक श्मशान में निवास करते हैं, जहाँ मृत शरीरों का अंतिम संस्कार होता है। उन्होंने कहा की हमारा मानना है कि श्मशान मृत्यु और जीवन के बीच का एक पुल है, जहाँ वे जीवन की अस्थिरता और नश्वरता को समझ सकते हैं।उन्होंने कहा की इसलिए हम सामान्य समाज से अलग रहते हैं और अपनी साधना में मग्न रहते हैं। क्योंकि हमारा मुख्य उद्देश्य आत्मा के साक्षात्कार और मोक्ष की प्राप्ति के साथ विश्व कल्याण की भावना समाहित रहती है, जिसके लिए हम समाज के पारंपरिक रीति-रिवाजों और नियमों से अलग हैं।इस अवसर पर ग्वालियर से तंत्र साधक अनिल शंकर नन्द गिरी, देहरादून से तंत्र एवं योग साधक अखिल शंकरनन्द गिरी, दिल्ली से गुरु माँ मीनाक्षी भैरवी, आजमगढ़ से रुद्राणी शंकर नन्द गिरी, मोनिका जी, प्राचल शंकर नन्द गिरी, सोनिया, रामा, गुंजा हरिद्वार गद्दी नशीन, दलीप कुमार काले, विनीत जोली, सूरज के साथ देशभर से अनेको अनुयायी सम्मिलित रहे।

    All type of Computer Works and All Types of govt application etc work

    By D S Sijwali

    Work on Mass Media since 2002 ........

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *