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    डायबिटीज के मरीजों के लिए मीठी तुलसी रामबाण इलाज

    मीठी तुलसी के पौधे उत्तराखंड की हरी-भरी वादियों और वहां के मौसम की वजह से वहीं पर पाए जाते हैं। मीठी तुलसी एक ऐसा दुर्लभ पौधा हैं, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए रामबाण इलाज साबित हो सकते हैं। विशेषज्ञों की माने तो स्टेविया पौधा आधुनिक समय में ऐसी खोज है, जिसने मधुमेह और मोटापा जैसी बीमारी से ग्रस्त लोगों में उम्मीद की एक लौ जगाई है। यह ऐसा पौधा है, जिसकी पत्तियों में आम-चीनी जैसी मिठास होती है और यह प्राकृतिक होता है। इसमें किसी तरह का कोई केमिकल नहीं है। भारत में स्टेविया को मीठी तुलसी पत्ती के नाम से भी जानते हैं।अगर कोई शुगर पेशेंट इसका उपयोग करना चाहता है तो वह चाय में केवल दो पत्ती डालें, चीनी का उपयोग बिलकुल न करे। इसका एसिड निकालकर ड्रॉप के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है।इसमें फ्लेवोनोइड्स, एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर, प्रोटीन, आयरन, सोडियम, विटामिन ए, के व सी होता है। इसके अलावा मीठी तुलसी में टैनिन, ट्राइटरपेंस, कैफीनोल, कैफीक एसिड और क्वेरसेटिन जैसे कई एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं।वहीं, इस पौधे में फूल आने के बाद विटामिन बी भी बन जाता है, जिसके माध्यम से इसको उगा सकते हैं। वहीं इसके अलावा कटिंग करके भी इसको सीधा लगाया जा सकता है। एक्सपर्ट की सलाह लेकर इन पौधों को आसानी से कहीं पर भी उगाया जा सकता है। वहीं इसको सुखाकर पाउडर बना लें। फिर उसका भी प्रयोग किया जा सकता है। स्टीविया यानी मीठी तुलसी की पत्तियों में मिठास होती है। पत्तियों में मिठास तो होती है, लेकिन इसमें चीनी जैसी कैलोरी नहीं होती।

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