• Sat. Nov 15th, 2025

    सीडीएस बिपिन रावत की प्रतिमा व स्मारक स्थल का सीएम धामी ने किया उद्घाटन, कहा बचपन में वह भी सेना का हिस्सा बनना चाहते थे

    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार देहरादून के कनक चौक में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल पद्म विभूषण बिपिन रावत की प्रतिमा और स्मारक स्थल का उद्घाटन किया। को मुख्यमंत्री ने कहा कि जनरल विपिन रावत की स्मृति को स्थायी बनाने के लिए उनके नाम पर राज्य की एक बड़ी परियोजना का नामकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह भव्य प्रतिमा और स्मारक स्थल जनरल बिपिन रावत की वीरता, अदम्य साहस की याद दिलाने के साथ-साथ युवाओं को प्रेरणा देने का काम करेगा। MDDA द्वारा लगभग 50 लाख रुपये की लागत से CDS जनरल रावत की प्रतिमा और स्मारक स्थल का निर्माण किया गया है।
    सीडीएस जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके आकस्मिक निधन से देश को जो अपूरणीय क्षति हुई है, उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती। भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास में उत्तराखंड के सैनिकों का विशेष योगदान रहा है। उत्तराखंड के युवाओं के लिए सेना में शामिल होना एक बड़ी प्राथमिकता रही है। सैन्य सेवा सिर्फ रोजगार का अवसर नहीं है, बल्कि देश और समाज के लिए जीवन समर्पित करने का भी एक उत्कृष्ट अवसर है।


    उनका उत्तराखंड से भी गहरा लगाव था

    दिवंगत जनरल बिपिन रावत की चार दशकों तक मातृभूमि की निःस्वार्थ सेवा असाधारण शौर्य और सामरिक कौशल से परिपूर्ण थी। अपने जीवन के अंतिम दिन तक वे सिर्फ और सिर्फ देश के लिए जिये। उनका सेनाध्यक्ष और पहला सीडीएस बनना स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि वे कितने सक्षम जनरल थे। सेना के तीनों अंगों के आधुनिकीकरण और देश को रक्षा जरूरतों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए। जनरल बिपिन रावत ने विशेष प्रयास किए। सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान उनका मार्गदर्शन जवानों के बहुत काम आया। उनके अनुकरणीय योगदान और प्रतिबद्धता को शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता। उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने शौर्य के नए प्रतिमान स्थापित किए। देश के साथ-साथ उनका उत्तराखंड से भी गहरा लगाव था। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक फौजी का बेटा होने के नाते उनका भी जुड़ाव सेना से था। बचपन में वह भी सेना का हिस्सा बनना चाहते थे।

    2021 में जब जनरल बिपिन रावत को पता चला कि मेरे पिता महार रेजीमेंट में रह चुके हैं तो उन्होंने स्वयं महार रेजीमेंट सेंटर सागर जाकर वहां जाने का कार्यक्रम बनाने की इच्छा जताई थी, लेकिन इस दुखद घटना से उन्हें सीएम ने कहा कि सागर रेजीमेंट के कार्यक्रम में शामिल होना था।

    राज्य सरकार द्वारा किए गए कार्यो के बारे में बताया

    मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में शहीद जवानों के आश्रितों को नियुक्ति देने का कार्य भी राज्य सरकार कर रही है।राजकीय सेवाओं में सीधी भर्ती द्वारा जिलाधिकारी कार्यालय में समूह ‘ग’ अथवा ‘घ’ में अब तक लगभग 23 आश्रितों को नियुक्ति दी जा चुकी है। इसके साथ ही, विभिन्न युद्धों, सीमा झड़पों और आंतरिक सुरक्षा में शहीद हुए सैनिकों की विधवाओं और आश्रितों को दस लाख का एकमुश्त अनुग्रह अनुदान भी दिया गया है।

    राज्य सरकार युद्ध विधवाओं या युद्ध में विकलांग सैनिकों को दो लाख रुपये तक की आवास सहायता भी प्रदान कर रही है। जबकि पूर्व सैनिकों की विधवाओं और अनाथ बेटियों की बेटियों की शादी के लिए एक लाख रुपये का अनुदान देने का भी प्रावधान किया गया है। हमारा लक्ष्य सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के हित के लिए हर संभव सहायता प्रदान कर सैनिकों के सपनों का उत्तराखंड बनाना है।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *