• Wed. Nov 12th, 2025

    मानसून 2024: किसानो के लिए अच्छी ख़बर, इस साल समान्य से अधिक होंगी बारिश

    खेती-किसानी(Farming) की मोर्चे पर अच्छी खबर है। देश में इस बार मॉनसूनी बारिश (monsoon rain)सामान्य से अधिक होने की संभावना है। मौसम विभाग (weather department)ने सोमवार को मॉनसून (monsoon)को लेकर दीर्घावधि पूर्वानुमान जारी किया। इसके अनुसार जून से सितंबर के चार महीनों में सामान्य से 106 फीसदी बारिश होगी। मॉनसून के दौरान सामान्य वर्षा का मतलब 87 सेंटीमीटर बारिश से होता है। यानी इस बार करीब 92 सेंटीमीटर बारिश हो सकती है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने प्रेसवार्ता में पूर्वानुमान जारी किया।

    IMD प्रमुख ने कहा, मॉनसूनी बारिश यदि 96-104 फीसदी रहती है तो यह सामान्य मानी जाती है, लेकिन इस बार यह 106 फीसदी तक रहने की संभावना है। इसलिए यह सामान्य से अधिक रहेगी। इसमें पांच फीसदी की मांडलीय त्रुटि हो सकती है। बता दें, 2023 में मॉनसूनी बारिश सामान्य के 94 फीसदी रही थी, जो सामान्य से थोड़ी ही कम थी। विभाग ने कहा कि मॉनसून के सामान्य से अधिक रहने की संभावना 61 फीसदी है, जबकि 29 फीसदी संभावना सामान्य रहने की है। सामान्य से कम रहने की संभावना महज 10 फीसदी है।

    अलनीनो की स्थिति हो रही कमजोर
    महापात्र ने कहा, मौजूदा समय में भूमध्य रेखीय प्रशांत महासागर में अलनीनो की मध्यम स्थितियां बनी हुई हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि यह लगातार कमजोर पड़ रहा है। यह अनुमान है कि मॉनसून के दूसरे चरण अगस्त-सितंबर में वहां ला नीना स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। दरअसल, ला नीना मॉनसून के लिए फायदेमंद माना जाता है, जबकि अलनीनो स्थिति में बारिश कम हो सकती है। IMD ने कहा कि देश में मॉनसून के आगमन को लेकर और देश के किस हिस्से में कितनी बारिश होनी है, इसे लेकर मई के अंत में भविष्यवाणी की जाएगी।

    नौ बार सामान्य से अधिक बारिश हुई
    IMD प्रमुख ने कहा, वर्ष 1951 से 2023 तक के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में उन नौ मौकों पर सामान्य से अधिक मॉनसूनी वर्षा दर्ज की गई, जब अल नीनो के बाद ला नीना की स्थिति बनी। वहीं देश में 22 ला नीना वर्षों में से 20 बार मॉनसून सामान्य से अधिक रहा। विभाग ने कहा, इस बार उत्तर-पश्चिम, पूर्व और पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है। बता दें, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून भारत की वार्षिक वर्षा का लगभग 70 प्रतिशत प्रदान करता है, जो कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। देश की जीडीपी में कृषि का योगदान लगभग 14 प्रतिशत है।

    तीन घटनाओं से होती है वर्षा की भविष्यवाणी
    आमतौर पर मॉनसून सीजन की बारिश की भविष्यवाणी के लिए तीन बड़े पैमाने की जलवायु घटनाओं पर विचार किया जाता है। इसमें पहला, अल नीनो के प्रभाव को देखा जाता है। दूसरा, हिंद महासागर डिपोल (आईओडी) पर नजर रखी जाती है, जो भूमध्यरेखीय हिंद महासागर के पश्चिमी और पूर्वी किनारों के अलग-अलग तापमान के कारण होता है। तीसरा, उत्तरी हिमालय और यूरेशियाई भूभाग पर बर्फ के आवरण को देखा जाता है। इस आवरण का भूभाग के अलग-अलग तापन के माध्यम से भारतीय मॉनसून पर भी प्रभाव पड़ता है।

    महापात्र ने कहा कि हिंद महासागर डिपोल की स्थितियां और उत्तरी गोलार्ध में बर्फ का आवरण भारतीय दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के लिए अनुकूल हैं। वहीं अल नीनो मॉनसून का मौसम शुरू होने तक कमजोर पड़ जाएगा।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *