अब नहीं सुनाई देगी अमिताभ की साइबर फ्रॉड कॉलर ट्यून
बढ़ती शिकायतों के बाद लिया फैसला
सरकार ने गुरुवार से साइबर फ्रॉड पर आधारित कॉलर ट्यून को हटाने का फैसला किया है, जिसमें सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की आवाज़ में लोगों को डिजिटल ठगी से सावधान रहने का संदेश दिया जाता था।
यह कदम उन बढ़ती शिकायतों के बाद उठाया गया है, जिनमें कहा गया कि यह कॉलर ट्यून आपातकालीन कॉल्स के दौरान बाधा बन रही थी।
कॉलर ट्यून अभियान पर बढ़ती नाराज़गी के बाद रोक
यह कॉलर ट्यून केंद्र सरकार की उस जागरूकता पहल का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य लोगों को साइबर अपराधों, ऑनलाइन धोखाधड़ी, फिशिंग और जालसाज़ी के प्रति जागरूक करना था। हर बार जब कोई कॉल करता, तो अमिताभ बच्चन की आवाज़ सुनाई देती, जो सावधान रहने की अपील करती।
शुरुआत में इस पहल को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली क्योंकि एक विश्वसनीय और लोकप्रिय आवाज़ के ज़रिए गंभीर संदेश दिया जा रहा था। लेकिन समय के साथ यह लोगों के लिए परेशानी का कारण बनने लगी। विशेष रूप से आपातकालीन या मेडिकल स्थितियों में, यह कॉलर ट्यून कुछ जरूरी सेकेंड्स में देरी कर रही थी।
सूत्रों ने बताया कि यह अभियान अब समाप्त हो चुका है और इसी वजह से कॉलर ट्यून को तत्काल प्रभाव से हटाया जा रहा है। एक सूत्र ने कहा, “अभियान समाप्त हो चुका है, इसलिए यह कॉलर ट्यून आज से हटा दी जाएगी।”
सोशल मीडिया पर आलोचना का मिला जवाब
पहले भी कोविड-19 महामारी के दौरान अमिताभ बच्चन की आवाज़ वाली हेल्थ एडवायजरी कॉलर ट्यून का उपयोग किया गया था, जिसे लेकर कुछ विवाद हुआ था। अब एक बार फिर साइबर फ्रॉड कॉलर ट्यून को लेकर उन्हें सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
एक सोशल मीडिया यूज़र के “फोन पर बोलना बंद करो” वाले कटाक्ष के जवाब में बच्चन ने लिखा, “सरकार को बोलो भाई, उन्होंने जो कहा हमने कर दिया।”
जब एक अन्य यूज़र ने उनके उम्र पर तंज कसा, तो उन्होंने जवाब दिया, “एक दिन भगवान न करे वो जल्दी आए, आप भी सठिया जाएंगे। परंतु हमारे यहां कहावत है – जो सठा, वो पथा।”
गौरतलब है कि कोविड काल के दौरान उनकी आवाज़ वाली कॉलर ट्यून के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल की गई थी, जब बच्चन और उनके परिवार के कुछ सदस्य कोरोना संक्रमित पाए गए थे।
इस कॉलर ट्यून को हटाने का फैसला एक ऐसे अभियान का अंत है जो एक नेक मकसद से शुरू किया गया था, लेकिन समय के साथ यह आम लोगों के लिए असुविधा का कारण बन गया। सार्वजनिक असंतोष और आपात स्थितियों में बाधा के कारण अंततः इस पर विराम लगाना पड़ा।