पीयूष चावला ने 36 साल की उम्र में क्रिकेट के सभी प्रारूपों से लिया संन्यास Piyush Chawla retired from all formats of cricket at the age of 36 years
भारत के दिग्गज लेग स्पिनर और दो बार के वर्ल्ड कप विजेता पीयूष चावला ने शुक्रवार को पेशेवर क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। 36 वर्षीय चावला ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, 20 साल से ज्यादा समय तक मैदान पर रहने के बाद अब इस खूबसूरत खेल को अलविदा कहने का समय आ गया है।चावला ने 2007 में भारत को टी20 विश्व कप जिताने वाली टीम और 2011 में वनडे वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने पेशेवर क्रिकेट में सभी फॉर्मेट मिलाकर 1000 से अधिक विकेट चटकाए। भारत के लिए उन्होंने 3 टेस्ट, 25 वनडे और 7 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और कुल 43 विकेट हासिल किए।चावला ने महज 17 साल और 75 दिन की उम्र में भारत के लिए इंग्लैंड के खिलाफ मार्च 2006 में टेस्ट डेब्यू किया था। वे इस फॉर्मेट में भारत की ओर से सबसे कम उम्र में डेब्यू करने वाले दूसरे पुरुष खिलाड़ी हैं। उनसे पहले यह रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर के नाम है जिन्होंने 16 साल और 205 दिन की उम्र में डेब्यू किया था।अपने पोस्ट में चावला ने लिखा, “भारत का प्रतिनिधित्व करना और 2007 व 2011 की विश्व विजेता टीम का हिस्सा बनना मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। ये यादें हमेशा मेरे दिल में रहेंगी।”आईपीएल में भी पीयूष चावला का करियर शानदार रहा। उन्होंने 4 फ्रेंचाइजियों के लिए खेलते हुए 192 मैचों में 192 विकेट चटकाए। उनका आखिरी आईपीएल कार्यकाल मुंबई इंडियंस के साथ 2022 से 2024 के बीच रहा।उन्होंने कहा, “मैं दिल से पंजाब किंग्स, कोलकाता नाइट राइडर्स, चेन्नई सुपर किंग्स और मुंबई इंडियंस को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने मुझ पर भरोसा जताया। आईपीएल मेरे करियर का एक खास अध्याय रहा है।”अपने कोच के प्रति आभार जताते हुए उन्होंने लिखा, “मैं अपने कोच श्री के.के. गौतम और स्वर्गीय श्री पंकज सरस्वत का विशेष धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने मुझे एक बेहतरीन क्रिकेटर बनने में मार्गदर्शन दिया।”पीयूष चावला ने अपना आखिरी पेशेवर मुकाबला नवंबर 2024 में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में उत्तर प्रदेश के लिए खेला था, जिसमें उन्होंने वानखेड़े स्टेडियम पर 4 विकेट लेकर 12 रन दिए थे।अंत में चावला ने कहा, “हालांकि मैं अब पिच से दूर जा रहा हूं, लेकिन क्रिकेट हमेशा मेरे भीतर जिंदा रहेगा। अब मैं इस खेल से मिली सीख को अपने साथ लेकर अपने जीवन की नई यात्रा की ओर बढ़ रहा हूं।”