• Fri. Nov 7th, 2025

    अल्मोड़ा: विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदीकरण विषय पर दो दिवसीय ‘कृषक जागरूकता कार्यशाला’ का समापन

    विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र, हवालबाग में शुक्रवार को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदीकरण विषय पर दो दिवसीय ‘कृषक जागरूकता कार्यशाला’ का समापन किया गया। इस अवसर पर कृषक गोष्ठी एवं प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. एम मधु, निदेशक, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में कदन्न फसलों का एक बहुत बड़ा योगदान है।


    मुख्य कृषि अधिकारी डी कुमार  ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में विपणन एक समस्या है। इस समस्या के समाधान हेतु कदन्न फसलों के अधिक उत्पादन से कृषक अधिक लाभ अर्जित कर सकते हैं। उन्होंने कृषकों को कदन्न फसलों के मूल्य की जानकारी भी दी।

    इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कांत ने अपने संबोधन में बताया कि आजादी के 75 वर्ष में कृषि क्षेत्र में इतनी अधिक प्रगति हुई है कि आज हमारा देश अन्न के भंडार से भरा हुआ है। देश जहां एक ओर देशवासियों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है, वहीं दूसरी ओर अन्न निर्यात भी कर रहा है।
    कार्यशाला में अल्मोड़ा, नैनीताल, बागेश्वर तथा चमोली जिले के 150 कृषकों एवं 100 विद्यार्थियों ने भागीदारी की। दो दिवसीय इस कार्यशाला में तीन सूत्रों नामतः जलवायु परिवर्तन में फसल प्रबंधन, कदन्न फसलें- भविष्य का भोजन एवं सामुदायिक विकास योजनाओं से आयवृद्धि के अंतर्गत सात व्याख्यान यथा पर्वतीय फसलों में एकीकृत कीट प्रबंधन, पर्वतीय क्षेत्रों में बेमौसमी सब्जी उत्पादन पर चर्चा हुई।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *